Jan २८, २०२३ १२:४१ Asia/Kolkata
  • मोदी के दोस्त धोखाधड़ी की आरोपी अडानी को बचाने के लिए भारतीय मीडिया ने झोंकी पूरी ताक़त! 2014 के बाद देश में आए सबसे बड़े बदलाव की मिसाल!

अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी के आरोपों के बाद अडानी समूह ने क़ानूनी विकल्पों पर विचार की बात कही है। इस पर हिंडनबर्ग ने कहा है कि अगर वे गंभीर हैं तो उन्हें अमेरिका में भी मुक़दमा दायर करना चाहिए।

एक समय था कि जब भारत में छोटे से छोटे घोटाले को लेकर बड़े से बड़ा तुफ़ान आ जाया करता था। मंत्रियों को मंत्रालय छुड़वाने, अधिकारियों को कार्यालय से निकलवाने और धोखाधड़ी के आरोपियों को जेल भेजवाने तक, भारतीय मीडिया दिन रात एक कर दिया करता था। लेकिन अब शायद समय बदल गया है, क्योंकि जब से हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रूप पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है तब से भारतीय मीडिया पूरी तरह उनके समर्थन में उतर आई है। हर चैनल और अख़बारों में केवल यह साबित करने की होड़ लगी हुई है कि कैसे अडानी ग्रूप को पूरी तरह क्लीन चिट दी जाए। हर कोई अपने-अपने तरह से दलीलें पेश कर रहा है। लेकिन वहीं दूसरी ओर हिंडनबर्ग के एक ख़ुलासे ने अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी को अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह पर ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। वहीं रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद अडानी समूह ने संक्षिप्त बयान जारी करते हुए क़ानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी। उसके कुछ ही घंटे बाद ही हिंडनबर्ग ने ट्विटर पर लिखा कि अडानी समूह ने रिपोर्ट में उठाए गए 88 सीधे सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं दिया है। कंपनी ने कहा, ‘अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में हमने सीधे तौर पर 88 सवाल पूछे हैं। हमें भरोसा है कि हमारी ओर से पूछे गए सवाल कंपनी को पारदर्शी होने का मौक़ा देंगे। लेकिन, अब तक अडानी समूह ने इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है।’ हिंडनबर्ग ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह क़ायम है। उसे पूरा विश्वास है कि अगर कोई क़ानूनी कार्यवाही की जाती है, उसमें कोई दम नहीं होगा।

इस बीच  कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और सेबी को करनी चाहिए क्योंकि भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा इन संस्थानों की ज़िम्मेदारी है। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस कारोबारी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नज़दीकी रिश्ते हैं और इस समूह को इसका फ़ायदा हुआ है। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘आमतौर पर राजनीतिक दलों को किसी कंपनी या कारोबारी समूह के बारे में आई किसी अध्ययन रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, लेकिन अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च के फॉरेंसिक अध्ययन पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया ज़रूरी है क्योंकि अडानी समूह कोई सामान्य समूह नहीं है, बल्कि इसकी पहचान नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके नज़दीकी होने की है।’ (RZ)

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