हिज़्बुल्लाह के मिसाइल हमलों का रिकॉर्ड टूटा, उत्तरी इलाक़ों की जंग से इस्राईलियों में ख़ौफ़
पार्सटुडे - ज़ायोनी शासन के चैनल 12 ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के व्यापक हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि: नेतन्याहू की कमज़ोर और पराजित कैबिनेट इस्राईल के उत्तरी इलाक़ों को भूल गई है।
मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तर में हिज़्बुल्लाह के व्यापक ड्रोन हमले, ज़ायोनियों द्वारा लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध की ताकत की सही पहचान, अवैध सेटेलर्ज़ में फैली निराशा, ज़ायोनियों को होने वाले ताज़ा नुकसान, हिज़्बुल्लाह और इस्राईल के बीच झड़पों की ताज़ा रिपोर्टें, मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तरी इलाक़ों में ज़ायोनियों की ताज़ा स्थिति, पार्सटुडे के इस समाचार पैकेज में हम शामिल कर रहे हैं।
मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तर में ज़ायोनी सेना के जमा होने के ठिकानों पर हिज़्बुल्लाह का हमला
अल-मनार चैनल ने एलान किया है कि: हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी हमलों के जवाब में और फ़िलिस्तीनी जनता का समर्थन करते हुए 6 बड़े ऑपरेशन्स के दौरान, "इब्राईम", "अल-मर्ज", "जल-अलअला" मीरून", "अल-मनारा" शेतुला", "किरयात शेमोना" और "बैते हेलल" जैसी उत्तर में स्थित ज़ायोनी बस्तियों में ज़ायोनी सैनिकों के जमा होने के ठिकानों को विस्फोटक और आत्मघाती ड्रोन से निशाना बनाया गया और इन हमलों में कई ज़ायोनी घायल भी हुए हैं।
ज़ायोनियों के ख़िलाफ़ हिज़्बुल्लाह के मिसाइल हमलों का रिकॉर्ड टूटा
ज़ायोनी सेना के रेडियो ने स्वीकार किया: अगस्त के महीने में, लेबनान से मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तर में कुल 1307 रॉकेट फ़ायर किए गए थे।इस रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त के महीने के दौरान, हिज़्बुल्लाह द्वारा प्रतिदिन औसतन 40 रॉकेट मक़बूज़ा क्षेत्रों की ओर फ़ायर किए गए जो ग़ज़ा के ख़िलाफ ज़ायोनी युद्ध की शुरुआत के बाद से दाग़े गए रॉकेटों की सबसे अधिक संख्या थी।
ज़ायोनी मीडिया ने हिज़्बुल्लाह की ताक़त का लोहा माना
ज़ायोनी चैनल 12 ने हिज़्बुल्लाह के व्यापक हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कमज़ोर, विफल और नाकाम इस्राईली कैबिनेट, मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तर को भूल गई है और केवल फ़िलाडेल्फिया मोर्चे के बारे में बात कर रही है! उत्तर में इज़राइल की नीति, कोई कंट्रोल वाली नीति नहीं है और इसी पॉलिसी के ज़रिए इस्राईली कैबिनेट हिज़्बुल्लाह को इन क्षेत्रों में जो चाहे करने की अनुमति देती है।
ज़ायोनी रिपोर्टर: सेटेलर्ज़ पर छाई है निराशा
इज़राइल के चैनल 12 के रिपोर्टर हेडर गित्सिस ने कहा: इज़राइली सेना हमले तो कर रही है, लेकिन वह स्थिति पर कंट्रोल और स्थिति को निर्धारित नहीं कर सकती, हम देख रहे हैं कि लेबनान से हमले रुक नहीं रहे हैं।
लाखों ज़ायोनी बाशिंदों के सामने यह सवाल है कि वे लेबनान से हिज़बुल्लाह की तरफ़ से होने वाले हमलों की छाया में अपना जीवन कैसे जारी रखें? वे हर दिन संरक्षित क्षेत्रों में घुसते हैं और हालिया दिनों में, विशेषकर इन दिनों, उनमें बहुत ज़्यादा ना उम्मीदी फैल गयी है।
हिज़्बुल्लाह की रणनीति के समाने ज़ायोनी परास्त
इस्राईली सेना के ज़मीनी बलों के पूर्व कमांडर गाइ त्ज़ूर ने ज़ायोनी चैनल कान के साथ एक साक्षात्कार में, हिज़्बुल्लाह के हमलों के जवाब में कहा: इस्राईल की एकमात्र रणनीति, नेतन्याहू को उनकी सीट पर बनाए रखना है।
मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में युद्ध करना उचित नहीं है। इस्राईली सेना में संचालन विभाग के पूर्व प्रमुख ने यह भी कहा: इस्राईल के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है और समस्या यह है कि हम एक जहाज की तरह हैं जिसका इंजन टूट चुका है और हम बिना किसी ख़ासियत आगे की ओर बढ़ रहे हैं।
7 अक्टूबर से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के मज़लूम और असहाय लोगों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू कर दिया है।
दूसरी ओर, ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया में अन्य प्रतिरोध समूहों ने एलान किया है कि वे अतिग्रहणकारी शासन से इन अपराधों का बदला लेंगे।
हालिया दिनों में, मक़बूज़ा क्षेत्रों के विभिन्न शहरों में नेतन्याहू की नीतियों के विरोध में ज़ायोनियों के व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आ रहे हैं।
ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 94 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।
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