हिज़्बुल्लाह ने उत्तरी इलाक़ों में इज़राइली शासन से शांति छीन ली, ज़ायोनियों की साम्राज्यवादी योजनाएं अंतिम चरण में
पार्सटुडे- लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिजबुल्लाह की कार्यकारी परिषद के प्रमुख के अनुसार, ग़ज़ा, लेबनान या क्षेत्र में इज़राइल के लक्ष्य हासिल नहीं होंगे।
लेबनान में हिजबुल्लाह की कार्यकारी परिषद के प्रमुख सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन के वरिष्ठ कमांडर फ़ुआद शुक्र की शहादत के 40वें के कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि आज ग़ज़ा और दक्षिणी लेबनान से लेकर प्रतिरोध के मोर्चे पर, प्रतिरोध के लड़ाके, पूरी बहादुरी से लड़ रहे हैं और अपनी योजनाओं और अपने कारनामों से दुष्ट ज़ायोनी शासन को हरा रहे हैं।
पार्सटुडे के अनुसार, सैयद सफ़ीउद्दीन ने कहा: आज, ज़ायोनी दुश्मन निराश और आश्चर्यचकित है क्योंकि लगभग एक साल के युद्ध के बाद उसका कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह की कार्यकारी परिषद के प्रमुख की घोषणा के अनुसार, ग़ज़ा और लेबनान में नागरिकों पर इज़राइली सैनिकों का हमला भी उन कई संकटों की वजह से ही है जिनमें यह शासन फंस चुका है।
सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन ने कहा कि तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन ने ज़ायोनी योजना को हिलाकर रख दिया। उनका कहना था कि लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध ने आक्रमणकारियों से सुख चैन और शांति छीन लिया, उत्तरी मक़बूज़ा क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता उनसे छीन लिया है और विशेषकर भविष्य को लेकर हमलावरों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
7 अक्टूबर से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के मज़लूम और असहाय लोगों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू कर दिया है।
दूसरी ओर, ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया में अन्य प्रतिरोध समूहों ने एलान किया है कि वे अतिग्रहणकारी शासन से इन अपराधों का बदला लेंगे।
हालिया दिनों में, मक़बूज़ा क्षेत्रों के विभिन्न शहरों में नेतन्याहू की नीतियों के विरोध में ज़ायोनियों के व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आ रहे हैं।
ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 94 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।
कीवर्ड्ज़: ग़ज़ा युद्ध, इजराइली अपराध, हिज़्बुल्लाह, तूफ़ान अल-अक्सा आप्रेशन, सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन (AK)
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