ट्रम्प ने उन देशों के ख़िलाफ़ क्या धमकियां दीं जो व्यापार में डॉलर का उपयोग नहीं करते?
पार्सटुडे- अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि वह दुनिया में डी-डॉलराइज़ेशन की प्रक्रिया को रोक सकते हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने विस्कॉन्सिन राज्य की चुनावी रैली में यह स्वीकार करते हुए कि वैश्विक लेनदेन से डॉलर को हटाना एक बढ़ती प्रक्रिया का हिसा बन गया है, अमेरिकी मतदाताओं से वादा किया कि वह एक वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति को बनाए रखेंगे।
पार्सटुडे के अनुसार, ट्रम्प ने चुनावी रैली में स्वीकार किया कि डॉलर "एक बड़ी घेराबंदी के तहत" है क्योंकि बड़ी संख्या में देशों ने व्यापार निपटाने के लिए अन्य तरीकों की ओर रुख कर लिया है।
दूसरी ओर ट्रम्प ने दावा किया कि इस नीति का पालन करने वाले देशों के लिए अमेरिकी डॉलर को छोड़ना बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि चुनाव जीतने के बाद डॉलर प्रणाली के बाहर व्यापार करने की कारण इन देशों को आयात पर अभूतपूर्व 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
ईरान, रूस और चीन सहित दुनिया के कई देशों ने व्यापारिक संबंधों में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए लंबे समय से अपने उपाय शुरू कर रखे हैं।
दरअसल, वाशिंगटन की नीतियों का पालन न करने वाले देशों पर अमेरिका की अधिकतम दबाव की नीतियों के साथ-साथ अमेरिका द्वारा आर्थिक प्रतिबंधों के इस्तेमाल की वजह से ये देश द्विपक्षीय व्यापार लेनदेन में अपनी अपनी राष्ट्रीय करेंसियों का उपयोग करने लगे हैं।
रूस के राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन ने पहले घोषणा की थी कि अमेरिका ने डॉलर के हथियार का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय वित्तीय भंडार की संस्था को बदनाम कर रखा है।
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