Sep २९, २०२३ १९:०३ Asia/Kolkata

उत्तरी कोरिया की संसद में किंग जोंग ऊन की उपस्थिति में एक विधेयक पारित किया गया जिसके अनुसार क्षेत्र में शांति व सुरक्षा बनाये रखने के लिए इस देश की परमाणु शक्ति में वृद्धि की जायेगी।

उत्तरी कोरिया के नेता ने बल देकर कहा कि इसके बाद परमाणु शक्ति में वृद्धि एक स्थाई कानून बन गया है और किसी को भी इसके उल्लंघन की अनुमति नहीं है। उत्तरी कोरिया के नेता ने परमाणु क्षमता व शक्ति में वृद्धि को इस देश के संविधान में शामिल कर दिया। इससे उनका महत्वपूर्ण उद्देश्य परमाणु मामले को पारिवारिक और पार्टी के मामले से निकालना है यानी अब परमाणु क्षमता में वृद्धि किसी पार्टी से विशेष नहीं है बल्कि वह देश के संविधान का भाग है और देश में कोई भी इस दिशा में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक जानकार उन ली मींग इस बारे में कहते हैं कि उत्तरी कोरिया ने जो परमाणु मामले को इस देश के संविधान में शामिल कर दिया है जो एक महत्वपूर्ण और समझदारी वाला कदम है क्योंकि अमेरिका और उसके घटकों के मुकाबले में परमाणु हथियार और मिसाइलें महत्वपूर्ण रोधक हैं। इसी कारण उत्तरी कोरिया की संसद में इस देश के नेता ने बल देकर कहा कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान का त्रिपक्षीय गठजोड़ एशियाई नाटो है जो जंग की जड़ और मुख्य वजह है।

उत्तरी कोरिया ने परमाणु मामले को जो इस देश के संविधान में शामिल कर दिया है उसे दक्षिण कोरिया के लिए करारा जवाब समझा जा रहा है। उत्तरी कोरिया ने बारमबार एलान किया है कि जब तब अमेरिका प्यूंगयांग के खिलाफ अपनी उत्तेजक व भड़काऊ कार्यवाहियों से बाज़ नहीं आयेगा तब तक उत्तर कोरिया अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करता रहेगा।

जानकार हल्कों का मानना है कि कोरिया प्रायद्वीप में अशांति की मुख्य जड़ अमेरिका है और हर कुछ समय पर वह जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर उत्तर कोरिया के खिलाफ भड़काऊ कार्यवाहियां करता रहता है और विश्व जनमत में यह दिखाने का प्रयास करता है कि अशांति का ज़िम्मेदार उत्तर कोरिया है जबकि वास्तविकता पूर्णतः भिन्न है। MM

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