बिहार में जाति आधितरित सर्वेक्षण में चौंकाने वाले नतीजे आए सामने!
बिहार सरकार ने सोमवार दो अक्टूबर को जाति-आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की है। इस तरह का आंकड़ा जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है बिहार। बिहार सरकार द्वारा जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) सबसे बड़ा हिस्सा 36 फ़ीसद है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, सोमवार को सर्वे की रिपोर्ट जारी करते हुए बिहार सरकार ने बताया कि इस राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फ़ीसदी है, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फ़ीसदी है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जनसंख्या के मामले में यादव सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जो कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसी समुदाय से आते हैं। सर्वे में शामिल कुल आबादी में 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी), 1.68 फ़ीसद अनुसूचित जनजाति (एसटी) शामिल हैं, जबकि कुशवाह और कुर्मी की आबादी का प्रतिशत क्रमशः 4.27 और 2.87 है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, आबादी में हिंदू 81.99 फ़ीसदी, मुस्लिम 17.7 फ़ीसदी, ईसाई 0.05 फ़ीसदी, सिख 0.01 फ़ीसदी, बौद्ध 0.08 फ़ीसदी और अन्य धर्म के लोग 0.12 फ़ीसदी हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार के यह कहने के बाद कि वह जनगणना में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं करेगी, नीतीश कुमार सरकार ने पिछले साल इस सर्वेक्षण का आदेश दिया था। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया था कि वह जातिगत तनाव बढ़ाने और 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए सर्वे का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि, बिहार सरकार का कहना था कि राज्य जाति जनगणना नहीं कर रहा है बल्कि केवल लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए विशिष्ट क़दम उठा सके। (RZ)
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