मालदीप के राष्ट्रपति का चीन दौरा, क्या हैं निहितार्थ
चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने मालदीप के राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज़्ज़ू से मुलाक़ात में आपसी संबंधों को स्ट्रैटेजिक सहयोग के स्तर तक ले जाने पर ज़ोर दिया।
मुहम्मद मुइज़्ज़ू ने कहा कि इस साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मालदीप की राजधानी माले की यात्रा का दसवां साल है। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने मालदीप के आर्थिक व सामाजिक विकास में मूल्यवान योगदान दिया है।
मालदीप वैसे तो छोटा सा देश है लेकिन समृद्ध द्वीप समूह समझा जाता है इसीलिए चीन, सऊदी अरब और भारत जैसे देश इस देश में अपनी पैठ बनाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। मगर चीन इस देश में और साथ ही बांग्लादेश और श्रीलंका में जो भारत के पारम्परिक घटक रहे हैं अपना प्रभाव बढ़ाने में कामयाब हुआ है। मालदीप और बांग्लादेश बेल्ट एंट रोड परियोजना के आरंभ बिंदुओं में हैं और दूसरी बात यह है कि चीन भारत का बड़ा प्रतिस्पर्धी है। तीसरी बात यह है कि भारत ने बेल्ट एंड रोड परियोजना को नाकाम बनाने के लिए व्यापक रूप से प्रयास कर रहा है।
भारतीय उपमहाद्वीप के मामलों के विशेषज्ञ सरोश अमीरी कहते हैं कि भारत ने जी-20 की बैठक में भारत को पश्चिमी एशिया और फिर यूरोप से जोड़ने वाले कारीडोर का प्रस्ताव पेश किया। इसे चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना को नाकाम बनाने की कोशिश के रूप में देखा जाता है। इसलिए मालदीप, बांग्लादेश और श्रीलंका से संबंधों का विस्तार चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
चीन के राष्ट्रपति से मुलाक़ात में मालदीप के राष्ट्रपति ने कहा कि मालदीप की जनता को बेल्ट एंड रोड परियोजना से बड़ा लाभ मिला है और दोनों देशों के बीच दोस्ती का ब्रिज दरअस्ल दो देशों की दोस्ती की मिसाल है। यह बयान दरअस्ल भारत की सरकार के लिए एक प्रकार का संदेश है जो सार्क के स्तर पर अहम और ज़िम्मेदार देश के रूप में अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहा है।
भारत ने हालिया ग़ज़ा जंग में ज़ायोनी शासन का खुलकर समर्थन किया इसका भी भारत मालदीप संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ा क्योंकि मालदीप फ़िलिस्तीनी काज़ के समर्थकों में गिना जाता है। मालशा शरीफ़, मरयम शिवना और अब्दुल्लाह महज़ूम मजीद ने जो मालदीप सरकार के मंत्री थे ग़ज़ा पट्टी के मसले में भारत सरकार के समर्थन की आलोचना करते हुए नरेन्द्र मोदी का मज़ाक़ उड़ाया और उन्हें ज़ायोनी शासन का पिट्ठू कहा।
तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिए जाने की ख़बरें आई हैं लेकिन मालदीप के राष्ट्रपति का चीन का दौरान मालदीप की तरफ़ से भारत के लिए कड़ा संदेश है।
सार्क देशों में जैसे जैसे चीन का प्रभाव बढ़ रहा है भारत की क्षेत्रीय पोज़ीशन कमज़ोर होती जा रही है। ज़ायोनी शासन और अमरीका से सहयोग बढ़ाने की मोदी सरकार की गहरी इच्छा कारण बनी है कि भारत अपने पड़ोसी देशों को नज़रअंदाज़ कर रहा है। मगर चीन इन देशों को बेल्ट एंड रोड परियोजना से जोड़कर कोशिश कर रहा है कि इन देशों का विकास हो और साथ ही दक्षिणी एशिया में चीन की पोज़ीशन मज़बूत हो। चीन के राष्ट्रपति की मालदीप के राष्ट्रपति से मिलाक़ात में नज़र आने वाली गर्मजोशी भारत के लिए भी खुला संदेश है।
दूसरी तरफ़ मालदीप के अधिकारियों की भारत की इस्राईल नीति को लेकर गहरी नाराज़गी भी ज़ाहिर करती है आगे चलकर यह नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को प्रभावित करेंगी।
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