तेहरान किताब मेले में फ़िलिस्तीनी स्टॉल/ हम मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं
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तेहरान किताब मेले के दिल में फ़िलिस्तीनी स्टॉल/ हम मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं
पार्सटुडे - एक फ़िलिस्तीनी छात्र ने कहा: फ़िलिस्तीन का स्टॉल तेहरान पुस्तक मेले के दिल में स्थित है और इससे पता चलता है कि फ़िलिस्तीन, ईरान के दिल में है।
ईरान के इस्फ़हान यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स के फ़िलिस्तीनी छात्र मआज़ दख़ील ने 35वें तेहरान अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में फ़िलिस्तीनी स्टॉल के बारे में मेहर समाचार एजेंसी के रिपोर्टर से बात करते हुए कहा:
यह स्टॉल, ईरान में फ़िलिस्तीनी छात्रों की संयुक्त समिति के सहयोग से फ़िलिस्तीन के मुद्दे को समझाने और ज़ायोनी शासन द्वारा सोशल मीडिया में फ़िलिस्तीन के बारे में फैलाई जा रही अफ़वाहों और संदेहों का जवाब देने के लिए बनाया गया था।
उन्हों कहा:
35वें तेहरान अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले से पता चलता है कि ईरानी जनता कितनी संस्कृति और अध्ययन से प्रेम करने वाली है। प्रदर्शनी में आने वाले लोग फिलिस्तीनी स्टॉल का भी दौरा करते हैं। फ़िलिस्तीन स्टॉल का लोग बढ़चढ़कर स्वागत कर रहे हैं। छात्र, मानचित्र के आधार पर यह साबित करते हैं कि फ़िलिस्तीनी भूमि पर इस्राईल ने कैसे क़ब्ज़ा कर लिया है और लोगों को मानचित्र पर फ़िलिस्तीन की घेराबंदी दिखाई गयी। बहुत से लोग अफ़सोस के साथ हमसे कहते हैं कि काश फ़िलिस्तीन की घेराबंदी न होती और हम इस्राईल से युद्ध कर सकते। फ़िलिस्तीन स्टॉल, पुस्तक मेले के दिल में स्थित है और इससे पता चलता है कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा, ईरान के दिल में कितना है।
इस फिलिस्तीनी छात्र ने दुनिया भर के छात्र आंदोलनों, यहां तक कि अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा:
फ़िलिस्तीनी मुद्दा न केवल इस्लामी मुद्दा है, बल्कि एक मानवीय मुद्दा भी है। पुरुष और महिलाएं, बूढ़े और जवान, और यहां तक कि बच्चे भी जागरूक हो चुके हैं कि फ़िलिस्तीनियों पर अत्याचार हो रहा है और इस्राईल, फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है।
मआज़ दख़ील ने कहा:
सुप्रीम लीडर इमाम खामेनेई ने पुस्तक मेले की अपने दौरे के दौरान फ़िलिस्तीनी स्टॉल का भी दौरा किया। मैंने सुप्रीम लीडर से कहा: मैं ईरान और इस्लामी दुनिया की क्रांति के नेता होने और फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन करने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। सुप्रीम लीडर ने मुझे छोटा और उपयोगी उत्तर दिया, फ़िलिस्तीन का समर्थन, एक कर्तव्य है। फ़िलिस्तीन का मुद्दा ईरानी जनता की आस्थाओं में है।
उन्होंने कहा:
फ़िलिस्तीन 1948 से युद्धरत है। फ़िलिस्तीन में जंग की शुरुआत तूफ़ान अल-अक्सा आप्रेशन से शुरू नहीं हुई! बल्कि यह और भी तेज़ हो गयी। इस्राईल, हमेशा फ़िलिस्तीन पर हमले करता रहता है लेकिन इस बार तूफ़ान अल-अक्सा से फ़िलिस्तीनियों ने ज़ायोनी शासन पर बड़ा हमला कर दिया है। वे इस हमले में सफल भी रहे। उन्होंने ग़ज़ा के दोगुने इलाक़े को आजाद कराया, इस हमले के बाद इस्राईली हमले शुरू हो गए। हमारे 1 लाख से अधिक लोग शहीद और घायल हो गये जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। फ़िलिस्तीनी महिलाएं अपने बच्चों को फ़िलिस्तीन के भविष्य के लिए संघर्षकर्ताओं के रूप में बड़ा करती हैं और उनका प्रशिक्षण करती हैं। फ़िलिस्तीनी मां जानती है कि उसके बच्चे फ़िलिस्तीन के लिए शहीद होंगे। फ़िलिस्तीनी महिला जानती है कि उसका पति फ़िलिस्तीन के लिए शहीद हो जाएगा।
इस फ़िलिस्तीनी छात्र का कहना था:
दक्षिणी ग़ज़ा में 20 लाख विस्थापित लोगों और उत्तरी ग़ज़ा में 7 लाख लोगों का जीवन कठिन हालात में है और वे कैंप में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। इन कैंपों में मां-बाप ने अपनी बेटियों की शादी की है। उन्होंने अपने बेटों की शादियां कर दी हैं, इन्हीं कैंपों में शादी के कार्यक्रम आयोजित करती हैं, एक बच्चे के पैदा होने की आवाज़ कैंप में फैल जाती है। महिलाओं ने बच्चों को पढ़ाने, विशेषकर हिफ़्ज़े क़ुरआन और पवित्र क़ुरआन को समझने के लिए क्लासों का आयोजन किया है। यहां तक कि एक छात्र ने अपनी मास्टर डिग्री भी प्राप्त कर ली है, प्रोफ़ेसर और जजेज़ कैंप में आ गए हैं और उसने अपनी थीसिस को उनके सामने पेश किया, उन्होंने इस उभरते हुए लड़े को बेहतरीन नंबर दिया और उसने अपनी डिग्री प्राप्त कर ली। फ़िलिस्तीनी लोग कम से कम रहने की सुविधाओं के साथ और अपनी पूरी ताकत और विश्वास के साथ कैंप में जीवन बिता रहे हैं। हमारा मानना है कि फ़िलिस्तीन की आज़ादी एक ईश्वरीय वादा है। हम इस ईश्वरीय वादे को पूरा करने के लिए लड़ते हैं और डटे हुए हैं, मुझे उम्मीद है कि यह स्वतंत्रता मुझे और मेरे समय के रहने वालों को हासिल होगी, हमें युद्ध पसंद नहीं है, लेकिन हमें अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ना होगा।
मआज़ दख़ील ने कहा:
मैं 2015 में पढ़ाई के लिए ईरान आया था। मैं इस्फ़हान यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स में इंजीनियरिंग का छात्र हूं। इस दौरान मैंने ईरान के लोगों को जाना, वे न केवल फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का बल्कि सभी मज़लूमों का समर्थन और बचाव करते हैं। फ़िलिस्तीन का मुद्दा ईरान की चिंताओं में एक है।
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