ईरान न होता तो हमारा टिकना संभव नहीं था, सीरियाई संसद सभापति
(last modified Mon, 26 Sep 2016 20:57:46 GMT )
Sep २७, २०१६ ०२:२७ Asia/Kolkata
  • ईरान न होता तो हमारा टिकना संभव नहीं था, सीरियाई संसद सभापति

सीरिया की संसद सभापति ने कहा है कि अगर इस्लामी गणतंत्र ईरान ने साथ न दिया होता तो हम एक देश, राष्ट्र और सरकार के रूप में ज़्यादा दिनों तक टिक नहीं सकते थे।

सीरिया की संसद सभापति हदिया ख़लफ़ अब्बास ने अपनी तेहरान यात्रा के दौरान ईरान के संसद सभापति डॅाक्टर अली लारीजानी से भेंट के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। 

उन्होंने इस अवसर पर सीरिया की मदद के लिए ईरान की सरकार, जनता, वरिष्ठ नेता और राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा किया। 

उन्होंने कहा कि दिंवगत राष्ट्रपति हाफिज़ असद से एक बार पूछा गया कि आप ईरान का इतना समर्थन क्यों करते हैं? तो उन्होंने जवाब दिया था कि आज हम इस्लामी गणतंत्र ईरान के अपने भाईयों के साथ खड़े हैं और उनकी मदद कर रहे हैं एक दिन एेसा आएगा हमारे साथ सिर्फ ईरान के भाई ही खड़े नज़र आएंगे। 

सीरिया की संसद सभापति ने कहा कि हम अपने दूसरे भाइयों से कोई मदद नहीं चाहते, अगर वह हमारा भला नहीं कर सकते तो हमारे लिए समस्या न पैदा करें, मेरा आशय सऊदी अरब और क़तर हैं। 

 

उन्होंने कहा कि पांच वर्षों से हमारे ऊपर थोपी गयी आतंकवादियों की यह लड़ाई दुनिया के 80 देशों की ओर से है और सीरिया कई मोर्चों पर लड़ रहा है और हमारी सेना की हर कामयाबी लगभग पूरी दुनिया के मुक़ाबले में हमें मिलने वाली कामयाबी है। 

सीरिया की स्पीकर हदिया ख़लफ़ अब्बास ने कहा कि अमरीका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का दावा करता है लेकिन हक़ीक़त में वह आतंकवाद में भागीदार है और इसका सब सब बड़ा सूबूत सीरिया सैनिकों पर उसका हालिया हमला है। 

उन्होंने कहा कि अमरीका का दावा है कि सीरियाई सैनिकों पर गलती से हमला हुआ लेकिन यह कैसी गलती है कि 45 मिनट तक अमरीकी युद्धक विमानों ने सीरियाई सैनिकों पर बम बरसाए और उन्हें पता भी नहीं चला। 

सीरिया की संसद सभापति ने कहा कि हम एलेप्पो सहित सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर रहे थे लेकिन जहां भी हमें सफलता मिली वहां अमरीका ने हमारे खिलाफ हमला किया। 

इस भेंट में इस्लामी गणतंत्र ईरान के संसद सभापति डॅाक्टर लारीजानी ने भी कहा कि सीरिया में संकट के आरंभ से ही ईरान का यह मानना था कि सीरिया के संकट का राजनीतिक समाधान ही संभव है लेकिन क्षेत्र और विश्व के कुछ देशों ने इस संकट की आग को भड़काया जिसका असर आज सब देख रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि यह कहा जा रहा है कि सीरिया में प्रजातंत्र के एेसा किया जा रहा है लेकिन हैरत की यह बात है कि एेसी देश इस तरह की बात कर रहे हैं जहां एक बार भी चुनाव का आयोजन नहीं हुआ है। 

 

ईरान के संसद सभापति ने कहा कि सीरिया ने पवित्र रक्षा के समय और कठिन परिस्थितयों में दिवंगत हाफिज़ असद के सत्ता काल में ईरान का समर्थन किया है और हम यह कभी नहीं भूल सकते। 

उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि विदेशी शक्तियों को सीरिया में पांच वर्षों से जारी संकट से यह पाठ ज़रूर मिला होगा कि संकट  केवल सीरिया तक सीमित नहीं रहेगा और अमरीका व युरोप के लिए भी समस्याजनक हो सकता है। (Q.A.)

 

 

 

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