पश्चिम एशिया के हालिया घटनाक्रमों में लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़बुल्लाह की भूमिका का एक महत्वपूर्ण आयाम यह है कि इस आंदोलन ने बड़े पैमाने पर युद्ध में दाख़िल हुए बिना ही इस्राईल की हत्या मशीन में एक बड़ा व्यवधान पैदा कर दिया है।
इस्राईल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने ग़ज़ा में युद्धविराम पर हमास के जवाब पर प्रारंभिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेतन्याहू हमास की शर्तों को स्वीकार नहीं करते हैं।
विभिन्न फ़िलिस्तीनी गुटों ने ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन के नरसंहार का जवाब लगातार अलग-अलग कार्रवाइयों को अंजाम देकर दिया है।
4 साल की फ़िलिस्तीनी बच्ची "सलमा जाबिर" उन हज़ारों शहीद बच्चों में से एक है, जो ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन के नए दौर के हमलों में शहीद हुए हैं।
9 मार्च 2024 दैरे यासीन के क़साई मनाख़िम बेगिन की मौत की वर्षगांठ है।
ग़ज़ा पट्टी में हालात बहुत संकटमय हैं और इस्राईल वहां लगातार नरसंहार और जातीय सफ़ाया कर रहा है मगर संयुक्त राष्ट्र संघ और उससे जुड़े संगठन कोई भी प्रभावी क़दम नहीं उठा पा रहे हैं।
ज़ायोनी शासन की युद्ध कैबिनेट ने हमास के साथ बातचीत को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए क़तर में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने को मंज़ूरी दे दी।
ज़ायोनी शासन के अपराधों के जवाब में फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन ने दक्षिणी ग़ज़्ज़ा में हमलावर शासन के कई ज़ायोनी सैनिकों को मार गिराया।
संयुक्त राष्ट्रपति संघ के मानवीय सहायता संबंधी मामलों को समन्वयक मार्टिन ग्रीफ़िथ्स ने कहा कि ग़ज़ा में 5 लाख इंसान भुखमरी की कगार पर हैं और उनके पास ज़रुरत की बुनियादी चीज़ें जैसे खाना पानी और दवा भी नहीं है।
ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ इस्राईल के अपराध हालिया दशकों में सबसे बड़े अपराधों में बन गए हैं इसलिए कई लोग इसे नरसंहार कहते हैं और इसकी तुलना द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ी जर्मन नेता एडॉल्फ हिटलर के अपराधों से करते हैं।