इराक़ मेंं अब सबकी निगाहें जाकर मध्यावधि चुनावों पर टिकीं
इराक़ को वर्तमान राजनीतिक संकट से निकालने के लिए वहां के राजनैतिक दलों ने विचार-विमर्श तेज़ कर दिया है।
अब एसा लगने लगा है कि इराक़ के राजनैतिक गुट इस देश मे मध्याविध चुनाव के लिए लगभग एकमत होते जा रहे हैं।
इराक़ में संसदीय चुनाव को संपन्न हुए 300 से अधिक दिन गुज़र चुके हैं। पिछले चुनाव 10 अक्तूअर 2021 को आयोजित हुए थे। संसदीय चुनाव को संपन्न हुए 300 से अधिक दिन गुज़र जाने के बावजूद इराक़ में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। राजनीतिक दलों के आपसी मतभेदों के कारण शायद एसा हुआ है। कुछ राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि इसमें विदेशी हस्तक्षेप की भी भूमिका रही है।
दो सप्ताह पहले संसद में मुहम्मद शिया अस्सूदानी के नाम को इस देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया गया था किंतु मुक़तदा सद्र ने इसका विरोध किया थ। इस विरोध के चलने सद्र के बहुत से समर्थक इराक़ की संसद में दो बार घुस चुके हैं। हालिया कुछ दिनों के दौरान इस देश के राजनैतिक दलों के विचार-विमर्श के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि इराक़ में मध्यावधि चुनाव कराए जा सकते हैं।
इराक़ के शिया गुटों के सबसे बड़े गठबंधन ने 5 अगस्त को एक बयान जारी करके देश के वर्तमान राजनैतिक संकट के समाधान पर बल दिया है। इस बयान में कहा गया है कि जिस वैध तरीक़े से भी इस संकट से निकला जा सकता है उसके माध्यम से देश को निकाला जाए। बयान के अनुसार अगर मध्यावधि चुनाव कराकर एसा हो सके तो उसे भी आज़माया जाना चाहिए। शिया गुटों के गठबंधन के इस प्रस्ताव का इराक़ के वर्तमान प्रधानमंत्री नूरी मालेकी और सद्र धड़े के नेता मुक़तदा सद्र ने भी समर्थन किया है।
हालांकि आंशिक रूप से इस प्रस्ताव का विरोध भी किया गया है। इसके विरोधियों का कहना है कि संसद के पूरे सम्मान के साथ यह काम हो अन्यथा इसका कोई लाभ नहीं होगा। इराक़ के भूतपूर्व प्रधानमंत्री नूरी मालेकी भी मध्यावधि चुनाव के पक्षधर हैं किंतु उनका कहना है कि यह चुनाव, संविधान के सम्मान और राष्ट्रीय एकता के साथ होना चाहिए। दूसरे शब्दों में मध्यावधि चुनाव उस समय लाभदाय होगा जब इराक़ को वर्तमान राजनैतिक संकट से बाहर निकाल सके। यह चुनाव एसी स्थति में सार्थक सिद्ध हो सकता है कि जब इसके आयोजनकर्ता इसकी पारदर्शिता को सुनिश्चित बनाएं।
इस संदर्भ में नूरी मालेकी कहते हैं कि मध्यावधि चुनाव, विगत की चुनावी धांधली और अन्य समस्याओं से ख़ाली होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न होने पाए। अगर एसा होता है तो फिर यही चुनाव इराक़ी जनता के लिए एक नए संकट की भूमिका प्रशस्त करेगा।
चुनावों के संदर्भ में एक अन्य बिंदु यह भी है कि नया मध्यावधि चुनाव आर्थिक दृष्टि से मंहगा होगा। इराक़ की वर्तमान आर्थिक स्थति को देखते हुए अगर नए मध्यावधि चुनाव के परिणाम इराक़ी गुटों को स्वीकार्य नहीं हुए तो फिर इराक़ पुनः एक गंभीर राजनीतिक संकट में बुरी तरह से घिर जाएगा। इससे इराक़ की साख को तो नुक़सान पहुंचेगा ही साथ ही यह मुद्दा वहां पर राजनीतिक विघटन का कारण भी बन सकता है। एसे में नए मध्यावधि चुनाव के आयोजन के बारे में इराक़ी राजनीतिक दलों को बहुत सोच समझकर फैसला लेना चाहिए।
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