28 जून को तय होगा, कौन बनेगा तुर्किए का राष्ट्रपति?
(last modified Mon, 15 May 2023 09:41:24 GMT )
May १५, २०२३ १५:११ Asia/Kolkata

तुर्किए के राष्ट्रपति चुनाव में पहले राउंड में किसी भी नेता को बहुमत नहीं मिला सका इसलिए अब यह चुनाव, दूसरे चरण में पहुंच गया है।

तुर्किए में राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन और उनके प्रतिद्वंद्वी कमाल किलिचदार ओग़लू में से कोई भी 50 फ़ीसद से ज़्यादा वोट हासिल नहीं कर सका।  बहुमत हासिल न होने के कारण अब वहां पर 28 मई 2023 को फिर से वोट डाले जाएंगे।

तुर्किये के चुनाव आयोग के अनुसार कुल मतदान का प्रतिशत 88.48 रहा।  तुर्किये के चुनाव में इसको मतदाताओं की सबसे बड़ी भागीदारी बताया जा रहा है।

तुर्किये के राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम यह बताते हैं कि मतदान प्रतिशत के हिसाब से इस देश के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान को लगातार कम वोट मिलते रहे हैं।  पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उनको 52 प्रतिशत ही मत मिले थे।  इस बार उनको 50 प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं जिसके कारण वे पहले चरण में राष्ट्रपति नहीं बन पाए और अब दूसरे चरण के चनुाव के बाद ही यह तय होगा कि तुर्किये का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? अर्दोग़ान को मिलने वाले वोटों में कमी का कारण बहुत स्पष्ट है। 

कुछ जानकारों का कहना है कि आर्थिक संकट के बारे में उचित नीति न अपनाना, मंहगाई को नियंत्रित करने में विफल रहना और पड़ोसी देशों को लेकर अर्दोग़ान की कुछ नीतियों के कारण उनको दिये जाने वाले वोटों में कमी आई है।  अर्दोगान को वर्षों बाद चुनावों में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है जहां उनके प्रतिद्वंद्वी ने विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करते हुए उन्हें कड़ी टक्कर दी है। 

रजब तैयब अर्दोग़ान को तुर्किये के राष्ट्रपति चुनाव में 49.04 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कमाल किलिचदार ओग़लू को 45 प्रतित मत प्राप्त हुए हैं।  एसे में तुर्किये के राष्ट्रपति चुनाव में इस पद के तीसरे प्रत्याशी सीना ओग़ान का महत्व बहुत बढ़ गया है जिनको मात्र 5 प्रतिशत ही वोट मिल पाए हैं।  अर्दोग़ान 11 वर्ष तक तुर्किये के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।  पिछले 9 वर्षों से वे इस देश के राष्ट्रपति पद पर हैं।   

तुर्किये में मतदाताओं को प्रत्याशियों के आर्थिक वादे ही अधिक प्रभावित कर रहे हैं।  यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान रजब तैयब अर्दोग़ान की आर्थिक टीम, तुर्किये की बिगड़ती आर्थिक स्थति को सुधारने में लगभग पूरी तरह से विफल रही है।  इस दौरान अर्दोग़ान ने सुधार के कई अवसर गंवाए भी हैं।

इसी बीच महत्वपूर्ण बात यह है कि रजब तैयब अर्दोग़ान के दो महत्वपूर्ण साथी अलीबाबा जान और अहमद दाऊद ओग़लू, जिन्होंने विगत में तु्र्किये की आर्थिक दृष्टि से और वहां की विदेश नीति को नई राह दी थी अलग होकर उनके प्रतिद्वदवी कमाल किलिचदार ओग़लू की टीम में शामिल हो चुके हैं।  एसे में दूसरे चरण में अर्दोग़ान के प्रतिद्वंदवी की विजय की संभावना बढ़ चुकी है।

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