इस्राईल में बढ़ने लगे आंतरिक मतभेद
ज़ायोनी समाज में पाए जाने वाले आंतरिक मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं।
नेतनयाहू की नीतियों के विरोध में व्यापक जन प्रदर्शन के बाद अब अवैध ज़ायोनी शासन को एक नया झटका लगा है।
तेलअवीव में होने वाली कल की गंभीर झड़पें ज़ायोनी समाज में एक अन्य प्रकार के आंतरिक मतभेद को उजागर करती हैं। इस घटना को इस्राईल के इतिहास की अभूतपूर्व घटना कहा जा रहा है। यह झड़पे अवैध ज़ायोनी शासन के सुरक्षा बलों और अफ्रीकी मूल विशेषकर इरिट्रिया मूल के लोगों के बीच में हुईं। इनमें दोनो ओर से लगभग 200 लोग घायल हो गए। एक ज़ायोनी पुलिस अधिकारी ने बताया कि सैन्य अधिकारी इस प्रकार की झड़प के लिए पहले से तैयार नहीं थे क्योंकि एसी झड़पें तो सामान्यतः जार्डन नदी के पश्चिमी तट पर ही देखी गई हैं।
कहा यह जा रहा है कि इस्राईल में कल होने वाली झड़पों का संबन्ध इरिट्रया के राष्ट्रपति के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई। इस बात को पेश करके ज़ायोनी समाज मे पाए जाने वाले मतभेदों पर पर्दा डालने की कोशिशे की जा रही हैं। नेतनयाहू के मंत्रीमण्डल के कई सदस्य अफ्रीकी मूल के यहूदियों के साथ गंभीर मतभेद रखते हैं। इसी बीच नेतनयाहू के मंत्रीमण्डल ने शनिवार के विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों के निष्कासन का आदेश दे दिया है।
तेलअवीव में होने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों के विरोध प्रदर्शन के एक ही दिन के बाद नेतनयाहू ने एक समिति का गठन करके यह आदेश दिया है कि विरोध करने वाले इरिट्रिया मूल के प्रदर्शनकारियों को इस्राईल से निकालने के लिए काम शूरू किया जाए। इसी बीच ज़ायोनी शासन के आंतरिक सुरक्षा के मंत्री ने इन प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कड़ाई से निबटने की बात कही है।
उधर बहुत से यहूदी धर्म गुरू अफ़्रीकी मूल के यहूदियों को मान्यता नहीं देते हैं। अभी हाल ही में एक वरिष्ठ यहूदी धर्मगरू ने काले लोगों को बंदर की संज्ञा दी थी। उनके इस वक्तव्य की कड़ी आलोचना हुआ और इसपर कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं आईं किंतु इस यहूदी धर्मगुरू के विरुद्ध न तो कोई क़ानूनी कार्यवाही की गई न ही उसने किसी से मांफी मांगी।
तेलअवीव में इरीट्रिया के दूतावास में किसी कार्यक्रम के विरोध में होने वाले प्रदर्शन ने एक चिंगारी पैदा की है। इस प्रदर्शन में सूडानी मूल के लोगों की भागीदारी यह बताती है कि ज़ायोनी शासन में मौजूद अशवेत समाज किस घुटन भरे माहौल में जी रहा है। अफ्रीकी मूल के यहूदियों के साथ ज़ायोनी शासन के भीतर होने वाले अत्याचारों के कारण इस अवैध शासन को कम से कम 7 बार अफ्रीकी मूल के यहूदियों के विरोध का सामना करना पड़ा है। शनिवार को तेलअवीव मे होने वाले विरोध प्रदर्शन इसी का एक हिस्सा थे।