फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में कई देशों में प्रदर्शन और रैलियां
ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के आक्रमण के विरोध में इस्लामी देशों में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं।
इन्डोनेशिया, सीरिया, जार्डन, पाकिस्तान और कई अन्य इस्लामी देशों में इस्राईल विरोधी प्रदर्शन किये गए। ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हमलों के विरोध में आठवें सप्ताह रविवार 3 दिसंबर को पाकिस्तान के कई नगरों में ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन किये गए।
पाकिस्तान की जनता ने फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए ग़ज़्ज़ा में स्थाई संघर्ष विराम की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने इस्राईल और अमरीका के ध्वजों को जलाया। जैसाकि सबको पता है कि इस्राईल, एक अवैघ शासन है। पाकिस्तान की, मजलिसे वहदते मुस्लेमीन पार्टी के प्रमुख नासिर अब्बास जाफ़री ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम कभी भी ज़ायोनियों के षडयंत्रों के झांसे में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी जियालों की कार्यवाहियों ने इस्राईल के तथाकथित अजेय होने के भ्रम को मिटा दिया। यही कारण है कि अंततः इस्राईल का विनाश होकर रहेगा।
पाकिस्तान के अतिरिक्त दुनिया में आबादी के हिसाब से मुसलमानों के सबसे बड़े देश इन्डोनेशिया में भी फ़िलिस्तीनियों के समर्थन और इस्राईल के विरोध के प्रदर्शन किये गए। ग़ज़्ज़ा पर अवैध ज़ायोनी शासन की ओर से आरंभ की गई सैन्य कार्यवाही में अबतक हज़ारों फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। शहीदों में बहुत बड़ी संख्या बच्चों की है। इसी के साथ बहुत सी महिलाएं भी इस्राईल के हमलों में शहीद हुई हैं। एक अनुमान के हिसाब से ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हमलों में शहीद और घायल होने वालों में 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं।
यहां पर अफ़सोस की बात यह है कि मानवाधिकारों का दावा करने वाले देशों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। वे मूक दर्शक बने हुए ग़ज़्ज़ा वासियों पर हो रहे अत्याचारों को देख रहे हैं। ग़ज़्ज़ा के लोगों के विरुद्ध इस्राईल की हिंसक कार्यवाहियों में अमरीका और उसके घटक खुलकर ज़ायोनी शासन का साथ दे रहे हैं। इस हिसाब से वे ग़ज्ज़ा वासियों के जनसंहार में इस्राईल के साथ हैं।
इस संदर्भ में तुर्किये के एक वरिष्ट पत्रकार मुदर्रिस ओग़लू कहते हैं कि अमरीका और इस्राईल जिस प्रकार के हमास के विनाश के बारे में बातें कर रहे हैं उसके कारण ग़ज्ज़ा में जटिलताएं बढ़ती जाएंगी। कुछ देशों की मध्यस्था से पिछले सप्ताह ज़ायोनी शासन और हमास के बीच संघर्ष विराम लागू हुआ था किंतु इस अस्थाई संघर्ष विराम की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद इस्राईल ने ग़ज्ज़ा पर फिर से हमले करने शुरू कर दिये। इस्राईल इस युद्ध में कोई विशिष्टता हासिल करना चाहता है जो उसको मिलती हुई दिखाई नहीं दे रही है। वह अमरीका और उसके घटकों की ओर से दिये गए हथियारों से फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार कर रहा है।
इन बातों से पता चलता है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध में इस्राईल, हमास से युद्ध की आड़ में फ़िलिस्तीनियों का जातीय सफाया कर रहा है। इस बात की पुष्टि उन आंकड़ों से होती है जिनमे बताया गया है कि ग़ज़्ज़ा में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों में सबसे अधिक संख्या बच्चों की है।
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