सीरिया में ईरान के 5 सैन्य सलाहकार शहीद
(last modified Sun, 21 Jan 2024 10:29:39 GMT )
Jan २१, २०२४ १५:५९ Asia/Kolkata

अवैध ज़ायोनी शासन के हमले में सीरिया के भीतर ईरान के कई सैन्य सलाहकार शहीद हो गए। 

सीरिया की राजधानी दमिश्क़ में शनिवार की शाम ज़ायोनियों के हवाई हमले में ईरान के 5 सैन्य सलाहकार या परामर्शदाता शहीद हो गए। 

हालिया कुछ सप्ताहों के दौरान सीरिया और लेबनान के विभिन्न क्षेत्रों में ज़ायोनियों ने हमले करके प्रतिरोधकर्ताओं को निशाना बनाया है।इन हमलों के ग़ैर क़ानूनी होने की बात से अलग विशेष बात यह है कि लेबनान और फ़िलिस्तीनी के प्रतिरोधकर्ताओं तथा ईरान के सैन्य सलाहकारों की शहादत पर ज़ायोनी शासन के पश्चिमी समर्थको के भीतर एक एसा अर्थपूर्ण मौन पाया जाता है जो बहुत कुछ बता रहा है। 

आईआरजीसी ने बयान जारी करके बताया है कि शनिवार की शाम सीरिया की राजधानी दमिश्क़ के अलमज़्ज़ा क्षेत्र पर ज़ायोनियों के हवाई हमले में ईरान के सैन्य सलाहकार, पवित्र स्थलों के रक्षक और सीरिया की सेना के कुछ सैन्य बल शहीद हो गए।  इससे पहले वाले ज़ायोनी हमलों में सीरिया में ईरान के एक सैन्य सलाहकार सैयद रज़ी मूसवी, हिज़बुल्ला के कमांडर वस्साम अत्तवील और हमास के एक वरिष्ठ सदस्य सालेह अलआरूरी भी शहीद हो चुके हैं।  इसके अतिरिक्त इराक़ के अन्नोख़बा आंदोलन के कमांडर अबू तक़वी अस्सईदी भी पिछले महीने बग़दाद में अमरीका के ड्रोन हमले में शहीद हो गए थे। 

हालांकि अवैध ज़ायोनी शासन की ओर से घोषणा की गई है कि इस प्रकार के हमलों का उद्देश्य, प्रतिरोध के मोर्चे की गतिविधियों को रोकना और उसके लड़ाकों के मनोबल को तोड़ना है किंतु व्यवहारिक रूप में इसके बिल्कुल ही विपरीत हो रहा है।  हर हमले के बाद ज़ायोनियों के विरुद्ध कोई एक नया मोर्चा खुल जाता है।  फ़िलिस्तीनियों विशेषकर ग़ज़्ज़ावासियों के समर्थन में यमन के अंसारुल्ला का मैदान में आकर ज़ायोनी और अमरीकी हितों के विरुद्ध कार्यवाही इसका स्पष्ट उदाहरण है। 

पिछले आठ दशकों का अनुभव यह बताता है कि शेख अहमद यासीन, फ़त्ही शेक़ाक़ी, अब्दुल अज़ीज़ अर्रनतीसी जैसे क्रांतिकारियों की शाहदत के बावजूद फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध बिल्कुल भी रुकने नहीं पाया।  इसी बीच इस्लामी गणतंत्र ईरान भी अपनी कूटनीति, रणनीति और सैन्य सलाहकारों के माध्यम से फ़िलिस्तीनियों और लेबनानियों के समर्थन से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटा है। 

इन बातों के दृष्टिगत यह कहा जा सकता है कि ईरान के सैन्य सलाहकारों की शहादत, प्रतिरोध की प्रक्रिया को रोक नहीं पाएगी।  यह ठीक उसी तरह से है जैसे अमरीकियों के हाथों क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बावजूद प्रतिरोध रुका नहीं बल्कि उनके मार्ग को आगे बढ़ाने के लिए अन्य कमांडर मैदान में आ गए।  यही वजह है कि फ़िलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और यमन आदि में इस्लामी प्रतिरोध दिन-प्रतिदिनि बढ़ता ही जा रहा है।

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