क़ाहिरा वार्ता, क्यों नाकाम हुई, किस की ग़लती है?
(last modified Thu, 15 Feb 2024 06:38:04 GMT )
Feb १५, २०२४ १२:०८ Asia/Kolkata
  • क़ाहिरा वार्ता, क्यों नाकाम हुई, किस की ग़लती है?

इस्राईली और फिलिस्तीनी कैदियों के आदान प्रदान और ग़ज़्ज़ा में युद्ध विराम के उद्देश्य से होने वाली काहिरा वार्ता बिना किसी नतीजे के ही समाप्त हो गई। ग़ज़्ज़ा युद्ध के बारे में क़ाहिरा की वार्ता अमेरिका, मिस्र, क़तर, हमास और ज़ायोनी शासन की भागीदारी के साथ आयोजित की गई थी।

अमेरिका की ख़ूख़ार ख़ुफ़िया एजेन्सी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स, क़तर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलर्रहमान आले सानी और मिस्र के अधिकारियों ने युद्धविराम की रूपरेखा पर चर्चा करने के लिए मिस्र की राजधानी काहिरा में मुलाकात की।

इस्राईल की ख़ूंख़ार ख़ुफ़िया एजेन्सी मोसाद के प्रमुख डेविड बार्निया और शिन बेट के निदेशक रोनेन बर्र भी ज़ायोनी शासन की ओर से काहिरा में मौजूद थे। हालांकि क़ाहिरा में बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला लेकिन कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस पर फिर से बातचीत होगी।

एक ज़ायोनी सूत्र ने अमेरिकी मीडिया एक्सिस के साथ एक साक्षात्कार में इस बात पर ज़ोर दिया है कि इन वार्ताओं में हासिल की गई एकमात्र प्रगति उन मुद्दों की समझ है जिन्हें युद्धविराम तक पहुंचने के लिए भविष्य की वार्ताओं में शामिल किया जाना चाहिए।

काहिरा वार्ता की विफलता के कई कारण हैं। इसका एक कारण युद्धविराम की अवधि से संबंधित है।

अमेरिकी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कुछ सूत्रों के हवाले से घोषणा की है कि युद्धविराम की अवधि को लेकर हमास और ज़ायोनी शासन के बीच मतभेद है।

हमास स्थायी युद्धविराम पर जोर देता है लेकिन ज़ायोनी शासन एक सीमित युद्धविराम चाहता है क्योंकि यह शासन केवल युद्धविराम की स्थापना से ज़ायोनी कैदियों की रिहाई चाहता है और हमास को यह भी पता है कि जैसे ही क़ैदियों को रिहा किया जाता है, ज़ायोनी शासन जल्द ही युद्ध फिर से शुरू कर देगा।

विवाद का एक अन्य कारक उन कैदियों की संख्या से संबंधित है जिन्हें दोनों पक्ष रिहा करना चाहते हैं।

अमेरिकी मीडिया एक्सिस ने इस संबंध में लिखा है कि क़ाहिरा बैठक में अधिक गंभीर बातचीत में जिस चीज ने बाधा डाली वह उन क़ैदियों की संख्या थी जिन्हें हमास रिहा करना चाहता है लेकिन तेल अवीव ने इस संख्या का विरोध किया और इस मुद्दे के कारण वार्ता विफल हो गई।

एक अन्य महत्वपूर्ण कारक इस्राईली कैबिनेट के भीतर मतभेदों से संबंधित है। इस कैबिनेट में हमास के साथ बातचीत पर कोई सहमति नहीं है।

जहां कैबिनेट के कुछ सदस्य ग़ज़्ज़ा युद्ध में हार स्वीकार कर रहे हैं वहीं नेतन्याहू अब भी युद्ध जारी रखने पर ज़ोर दे रहे हैं। (AK)

 

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