नेतनयाहू सरकार ने इस्राईल की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है
(last modified Mon, 24 Jun 2024 15:14:05 GMT )
Jun २४, २०२४ २०:४४ Asia/Kolkata
  • नेतनयाहू सरकार ने इस्राईल की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है

इस्राईली व्यापारियों ने नेतनयाहू के इस्तीफ़े की मांग करते हुए आम चुनावों के आयोजन पर बल दिया है।

इस्राईल के 200 बड़े व्यापारियों ने कहा है कि नेतनयाहू को सत्ता से हटाकर ही इस्राईल को गहरे आर्थिक संकट से निजात दिलाई जा सकती है। एक मशहूर इस्राईली व्यापारी इयाल वैल्डमैन का कहना हैः मौजूदा सरकार, इस्राईल की दुशमन है और हमें समय पूर्व चुनावों के लिए प्रयास करना चाहिए।

वैल्डमैन का कहना था कि इस्राईली व्यापारी, संसद सदस्यों को इस बात के लिए राज़ी करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे नेतनयाहू की सरकार को गिरा दें।

ग़ौरतलब है कि ग़ज़ा के ख़िलाफ़ इस्राईल के अमानवीय और क्रूर युद्ध को शुरू हुए 8 महीने से ज़्यादा हो गए हैं और इस युद्ध ने इस अवैध शासन को भी कई गंभीर संकटों में फंसा दिया है।

इस युद्ध में ज़ायोनी शासन को बेगुनाह फ़िलिस्तीनी बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों के नरसंहार के अलावा कोई दूसरी उपलब्धि हाथ नहीं लगी है।

इससे पहले इस्राईली वित्त मंत्रालय ने कहा था कि अप्रैल में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में इस शासन का बजट घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का सात प्रतिशत हो गया है।

इसके अलावा, ज़ायोनी शासन के कर राजस्व में इस वर्ष के पहले तीन महीनों में 4.1% और अप्रैल में 13.1% की कमी आई है।

ज़ायोनी शासन के वित्त मंत्रालय ने ग़ज़ा युद्ध में आने वाली लागत के कारण, 2025 के लिए 8 अरब डॉलर के बजट घाटे की भविष्यवाणी की है।

ज़ायोनी अख़बार यरूशेलम पोस्ट ने रविवार को एक रिपोर्ट में उल्लेख किया कि ग़ज़ा युद्ध के कारण, सबसे बड़ा आर्थिक झटका किसानों को लगा है।

इस बीच, ज़ायोनी अख़बार कैल्केलिस्ट ने लिखा है कि ज़ायोनी शासन के वित्त मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, ग़ज़ा युद्ध में 200 बिलियन शेकेल या 51 बिलियन डॉलर से ज़्यादा की लागत आएगी, जो सकल घरेलू उत्पाद का 10% के बराबर है।

हालांकि कैल्केलिस्ट ने ग़ज़ा युद्ध में आने वाले 51 बिलियन डॉलर के ख़र्चे को आशावादी बताया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में किसी भी तरह का कोई लाभ हासिल किए बिना, इस्राईल यह युद्ध हार गया है। 8 महीने से ज़्यादा बीत जाने के बाद भी, वह वर्षों से घेराबंदी का शिकार, एक छोटे से क्षेत्र में प्रतिरोधी समूहों को हराने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा, ग़ज़ा युद्ध में युद्ध अपराधों और आम लोगों के नरसंहार के कारण, दुनिया में उसे हासिल थोड़ा-बहुत समर्थन भी ख़त्म हो रहा है।

ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, 7 अक्टूबर, 2023 को ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के बाद से 37,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं और 85,000 से अधिक घायल हो गए हैं। msm

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