पेरिस ओलंपिक, इस्राईली प्रोपेगैंडा, खेल के पीछे राजनीति/ 4 बिन्दु
पार्सटुडे – सामने आने वाली जानकारियों और तस्वीरों के अनुसार, ग़ज़ा में युद्ध के सैन्य अपराधियों में इस्राईली शासन के कई एथलीट शामिल हैं।
जिस समय पेरिस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल चल रहे थे, उसी समय इस्राईली शासन की टीमें और सैनिक-एथलीट, इन खेल मैदानों पर हाज़िर हुए और मैदान में उतर कर उन्होंने अपने झंडे तक लहराए।
एक खेल आयोजन से हटकर, ये खेल इस्राईली शासन के प्रोपेगैंडा द्वारा एक राजनीतिक शो के अवसर में तब्दील हो गया है। दूसरी तरफ़ और भी स्पष्ट तरीक़े से, वे समाचारों में इस्राईल के युद्ध अपराधों को कम करने और उन्हें सामान्य दिखाने में पूरी तरह से सक्षम रहे।
पार्सटुडे की इस रिपोर्ट में ओलंपिक में इस्राईल की अवैध उपस्थिति को लेकर कई विरोधाभास और विचारणीय बिंदु बताए गए हैं:
1- ओलंपिक, और अधिक क़त्लेआम का अवसर
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने वीडियो संदेश में देशों से ओलंपिक युद्धविराम की परिधि में अपने हथियार ज़मीन पर रखने को कहा, 24 घंटे से भी कम समय में, कार्रवाई की स्वतंत्रता के साथ ही इस्राईली सेनाओं ने दैरुल बलह के पास एक स्कूल पर हवाई हमले किए जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 30 फ़िलिस्तीनियों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
ये अपराध ओलंपिक के दिनों में ही अंजाम दिए गये और साथ ही ओलंपिक के मौक़े पर, इस्राईली शासन ने चुपचाप अपनी आक्रामकता और हमलों को अंजाम दिया है।
प्रोपेगैंडे के लिए ओलंपिक
इस्राईली शासन अपने अपराधों को छुपाने के लिए खेल को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करता है और अपने अपराधों को तथाकथित गेम लांड्रिंग करता है।
यह हाज़िरी, इस्राईली शासन को अपने अपराधों को वैध बनाने और विश्व स्तर पर एक नरम शक्ति के रूप में इस्तेमाल करने में मदद करती है। पेरिस 2024 ओलंपिक में इस्राईली टीम की भागीदारी को बेन्यामीन नेतन्याहू के लिए एक बड़ी प्रचार जीत भी माना जाता है।
3 -रूस और IOC का दोहरा मापदंड
आईओसी ने यूक्रेन युद्ध पर रूस पर प्रतिबंध लगा दिया हैं जबकि उसने इस्राईल के ख़िलाफ़ कोई भी इस तरह की मिलती जुलती कार्रवाई नहीं की है जिसने खेल प्रतिष्ठानों पर बमबारी की और ओलंपियंस सहित कई एथलीटों और कोचों को मार डाला।
दूसरी ओर, ग़ज़ा पर हमलों की वजह से खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से इस्राईल का बहिष्कार करने या उस पर प्रतिबंध लगाने का व्यापक अनुरोध हुआ। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए, ओआईसी ओलंपिक समिति ने ज़िम्मेदारी से इनकार कर दिया और एक सतही बयान जारी किया। आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख़ ने कहा, हम राजनीतिक नहीं हैं, हम एथलीटों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।
4 - सैनिक-एथलीटों का प्रदर्शन
जारी जानकारियों और तस्वीरों के अनुसार, इस्राईली शासन के कई एथलीट ग़ज़ा में युद्ध अपराधियों में हैं। पत्रकार करीम ज़ीदान इस बारे में लिखते हैं: पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले 88 इस्राईली एथलीटों में, कम से कम 30 ने सार्वजनिक रूप से युद्ध और आईडीएफ़ का समर्थन किया है।
हालांकि, इस्राईली शासन की उपस्थिति को युद्ध-विरोधी समर्थकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के व्यापक विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
उनका मानना है कि अमेरिका और पश्चिम के दबाव में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय गूंगा बना हुआ है और इस्राईली शासन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन से गंभीरता से निपटने में असमर्थ है।
बेशक, लोगों के ग्रुप्स अब तक बेकार नहीं हुए हैं और उन्होंने पेरिस ओलंपिक में इस्राईली शासन की उपस्थिति पर अधिक ध्यान आकर्षित कर रखा है।
"फिलिस्तीन ज़िंदाबाद" और "फ़्रीडम फ़ॉर ग़ज़ा" जैसे फ़िलिस्तीन समर्थक ग्राफ़िक्स पूरे शहर में देखे जा सकते हैं।
कीवर्ड्ज: इस्राईली खेलों का बहिष्कार, इस्राईली अपराध, ग़ज़ा युद्ध, पेरिस और रूस ओलंपिक (AK)
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए