समाचार विश्लेषण: वे विशेषताएँ जिन्होंने हिज़्बुल्लाह को अजेय बना दिया
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हिज़्बुल्लाह लेबनान
पार्स टुडे- समाचार पत्र अल-अख़बार ने लिखा: हिज़्बुल्लाह के ख़िलाफ भीषण युद्ध और नवंबर 2024 में युद्धविराम की घोषणा के बावजूद, इज़राइल अपने रणनीतिक व स्ट्रैटेजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ रहा है।
इस्राइली कमांडरों का ज़ोर है कि "लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है" लेकिन हिज़्बुल्लाह का पतन उसकी संरचनात्मक और सामाजिक विशेषताओं के कारण अत्यंत कठिन है और यह मात्र एक भ्रांति व कल्पना के अलावा कुछ और नहीं है।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार समाचार पत्र "अल-अख़बार" ने इज़राइल की ओर से हिज़्बुल्लाह को पूरी तरह कमज़ोर करने में विफल रहने के मुख्य कारणों की ओर इशारा करते हुए लिखा है:
हिज़्बुल्लाह की ग़ैर केन्द्रित और लचीली संरचना
समाज के साथ इसकी गहराई से जुड़ी उपस्थिति और स्थायी जनसमर्थन
गहरी वैचारिक प्रतिबद्धता, जिसने संगठन को मानसिक हमलों के विरुद्ध दृढ़ बनाया और युद्ध के दौरान नेतृत्व व सैन्य ढांचे का पुनर्निर्माण, विशेष रूप से नए नेता 'नइम क़ासिम' के नेतृत्व में
ये सभी प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से इज़राइल हिज़्बुल्लाह को कमज़ोर करने में विफ़ल रहा है।
इस अख़बार ने आगे हिज़्बुल्लाह की क्षेत्रीय स्थिति की ओर इशारा करते हुए लिखा: सीरिया की नई सरकार अब पश्चिम और इज़राइल की ओर झुकाव दिखा रही है, जिससे हिज़्बुल्लाह की आपूर्ति और समर्थन की लाइनें खतरे में पड़ गई हैं।
इसके अलावा लेबनान में नई सरकार ने "हथियारों पर एकाधिकार" के नारे के साथ हिज़्बुल्लाह पर दबाव डाला है और विदेशी मदद को इज़राइल की शर्तों को स्वीकार करने से जोड़ दिया है लेकिन इन तमाम दबावों के बावजूद, हिज़्बुल्लाह ने अपनी सामाजिक, वैचारिक और सैन्य स्थिति को बनाए रखा है, और अब भी लेबनान की राजनीति और सुरक्षा का एक प्रमुख खिलाड़ी बना हुआ है। MM