इस्राइली क़ब्ज़ा, अमेरिकी समर्थन
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पार्सटुडे - ग़ज़ा पट्टी पर पूर्ण क़ब्ज़ा एक नई अपराधी योजना का हिस्सा है, जिसे अमेरिका के समर्थन से ज़ायोनियों ने तैयार किया है जबकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसके घातक खतरों के बारे में चेतावनी दे रहा है।
(last modified 2025-08-12T13:53:09+00:00 )
Aug ११, २०२५ १५:४२ Asia/Kolkata
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    इस्राइली क़ब्ज़ा, अमेरिकी समर्थन

पार्सटुडे - ग़ज़ा पट्टी पर पूर्ण क़ब्ज़ा एक नई अपराधी योजना का हिस्सा है, जिसे अमेरिका के समर्थन से ज़ायोनियों ने तैयार किया है जबकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसके घातक खतरों के बारे में चेतावनी दे रहा है।

ज़ायोनी शासन की सुरक्षा कैबिनेट ने ग़ज़ा युद्ध में स्थिति को और खतरनाक ढंग से बिगाड़ते हुए ग़ज़ा पट्टी पर पूर्ण क़ब्ज़े की योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत ग़ज़ा शहर पर क़ब्ज़ा करने और वहां के निवासियों को जबरन विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों ने ग़ज़ा पट्टी पर पूर्ण क़ब्ज़े के कई खतरों के बारे में आगाह किया है। अंग्रेजी और अमेरिकी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट्स में ग़ज़ा क़ब्ज़े की योजना, उसके मानवीय, राजनीतिक और सैन्य पहलुओं तथा इस योजना पर विभिन्न प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया है।

 

ब्रिटिश अखबार "आई पेपर" ने इज़राइल के प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू के कार्यालय के हवाले से दावा किया है कि इस योजना में "ग़ज़ा युद्ध को समाप्त करने के सिद्धांत, युद्ध क्षेत्र से बाहर मानवीय सहायता प्रदान करना और ग़ज़ा पट्टी को एक ग़ैर-सैन्य सरकार को सौंपना शामिल है।

 

ग़ज़ा शहर के निवासियों का जबरन विस्थापन

 

ब्रिटिश अख़बार "आई पेपर" के अनुसार, तेल अवीव की योजना के तहत ग़ज़ा शहर पर कब्ज़ा करने और वहां के निवासियों को जबरन दक्षिण की ओर, खासकर अल-मवासी तटीय क्षेत्र की ओर खदेड़ा जाएगा। इज़राली चैनल 12 की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका एक अस्थायी ग़ैर-सैन्य ढांचे के जरिए इस योजना को लॉजिस्टिक और मानवीय सहायता मुहैया कराएगा। पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि ग़ज़ा शहर और मध्य क्षेत्रों पर नियंत्रण करने में लगभग 5 महीने लगेंगे।

 

हालांकि नेतन्याहू का दावा है कि यह योजना हमास को खत्म करने और इज़राइलियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है,लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस क़दम से नए सिरे से विस्थापन का दौर शुरू हो सकता है, ग़ज़ा में फैले भुखमरी के संकट को और बढ़ावा मिल सकता है, और ग़ज़ा में बंद इजरायली कैदियों की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है। वाशिंगटन पोस्ट ने भी ज़ायोनी शासन की कैबिनेट बैठक के सूत्रों के हवाले से बताया है कि ग़ज़ा शहर के निवासियों को वैकल्पिक क्षेत्रों में पहुँचाने में करीब दो महीने लगेंगे।

 

ग़ज़ा पर कब्ज़े में इज़राइल के सामने चुनौतियां

 

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइली सेना उपकरणों और मानवबल की कमी से जूझ रही है। ग़ज़ा के बचे हुए 25% हिस्से पर कब्ज़ा करने के लिए उसे रिज़र्व सैनिकों को बुलाना पड़ेगा, क्योंकि मौजूदा फौजी थक चुके हैं। फिलहाल ग़ज़ा पट्टी में 4 सैन्य डिवीजन तैनात हैं, जबकि पूरे ग़ज़ा पर कब्ज़े के लिए कम से कम 6 डिवीजन चाहिए।

 

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ग़ज़ा पर पूर्ण कब्ज़ा करने से वहाँ बंद इजरायली बंदियों की जान भी खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि इजरायली सेना की गोलाबारी में उनके मारे जाने का खतरा है। इस योजना का खुद इजरायली सेना के भीतर भी विरोध हो रहा है।

 

इजराइली सेना के प्रमुख एयाल ज़ामीर ने स्वीकार किया कि सैनिक थके हुए हैं, और न तो पर्याप्त हथियार हैं और न ही जवान। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पर कब्ज़े की योजना के लिए बड़े पैमाने पर रिज़र्व बलों की जरूरत होगी, लेकिन युद्ध को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच ऐसा करना मुश्किल होगा। (AK)

 

कीवर्ड्ज़: इज़राइल, वेस्टबैंक, फ़िलिस्तीन, ज़ायोनी शासन

 

 

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