यमन संकट के हल के लिए जारी कोशिश
यमन संकट के हल के लिए जारी कोशिश
यमन के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत इस्माईल वूल्द अश्शैख़ अहमद एक बार फिर सनआ गए हैं ताकि यमन संकट के हल के संबंध में अपने प्रस्ताव पर यमनी पक्षों की सहमति हासिल कर सकें। यमन संकट 26 मार्च 2015 से इस देश पर सऊदी गठबंधन के हमले से शुरु हुआ। इस संकट के शुरु से संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्य व प्रभावी खिलाड़ियों में रहा है लेकिन अभी तक संकट को ख़त्म करना तो दूर उसे कम करने में भी सफल नहीं हुआ है।
इस्माईल वुल्द अश्शैख़ अहमद के इस नए प्रस्ताव का एक बिन्दु यह है कि यमनी पक्ष राष्ट्रपति के पद के लिए एक प्रतिनिधि पर सहमति दे और राष्ट्रपति के सारे अधिकार उसे दिए जाएंगे। इस नये प्रतिनिधि पर राष्ट्रीय एकता की सरकार के गठन की ज़िम्मेदारी होगी और वह यमन में राष्ट्रपति पद के चुनाव का आयोजन कराएगा।
इस्माईल वुल्द अश्शैख़ अहमद के प्रस्ताव के बारे में यमनी पक्षों के अलग अलग दृष्टिकोण हैं। अब्द रब्बोह मंसूर हादी का दावा है कि इस प्रस्ताव से अंसारुल्लाह को वैधता मिल जाएगी इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि यमन में अंसारुल्लाह को जनाधार हासिल है और इस आंदोलन से जुड़े स्वयंसेवी यमनी सैनिकों के साथ मिल कर सऊदी अरब के अतिक्रमण का मुक़ाबला कर रहे हैं।
अंसारुल्लाह ने भी आरंभ में इस प्रस्ताव का विरोध किया क्योंकि यह प्रस्ताव मंसूर हादी के यमन की सत्ता के ढांचे में बने रहने के अर्थ में है, हालांकि सत्ता उनके हाथ में नहीं होगी।
अंसारुल्लाह वुल्द अश्शैख़ के प्रस्ताव के कुछ अनुच्छेद के ख़िलाफ़ है लेकिन फिर इस प्रस्ताव को वार्ता के योग्य समझता है। कुछ समाचारिक सूत्रों का कहना है कि अक्तूबर के आख़िर में वुल्द अश्शैख़ जब रियाज़ गए थे तो मंसूर हादी उनसे बात करने के लिए तय्यार न हुए। इसलिए वुल्द अश्शैख़ का कार्यक्रम यह है कि अंसारुल्लाह और यमन पीपल्ज़ कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद वह एक बार फिर रियाज़ जाएंगे और मंसूर हादी से बात करेंगे।
इस बात के मद्देनज़र कि मूंसर हादी की अध्यक्षता में इस्तीफ़ा दे चुकी यमनी सरकार के साथ अंसारुल्लाह और यमन पीपल्ज़ कॉन्ग्रेस पार्टी के गहरे मतभेद हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि कम से कम 2016 के अंत तक वुल्द अश्शैख़ की कोशिश का यमन संकट के हल में कोई नतीजा नहीं निकलेगा। (MAQ/T)