दाइश की क़ैद में इराक़ी बच्चों की दुर्दशा
इराक़ पर दाइश के आक्रमण के समय से इस देश में दाइश की सबसे अधिक बलि बच्चे चढ़े हैं।
ब्रिटिश समाचार पत्र इन्डिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा हे कि आतंकवादी गुट दाइश अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में कम आयु के बच्चों को इतना अधिक भूखा रखते हैं कि वह कमज़ोर हो जाते हैं और फिर उन्हें कम भोजन की लालच देकर रण क्षेत्र भेज देते हैं।
युद्ध में चाहे वह गृह युद्ध हो या किसी देश का दूसरे देश के साथ युद्ध, सबसे अधिक नुक़सान बच्चों का होता है और यह बात आज इराक़ी बच्चों पर पूरी तरह उतर रही है। इराक़ी बच्चे एेसी हालत में अत्याचार ग्रस्त और निर्दोष हैं किन्तु दाइश के आतंकी उन्हें विभिन्न तरीक़े से लक्ष्य बनाते हैं।
इराक़ी बच्चे आतंकी गुट दाइश के हाथों बुरे तरीक़े से मारे जाने और घायल होने के अतिरिक्त दूसरे तरीक़ों से भी इस आतंकवादी गुट के अपराधों का शिकार होते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आतंकवादी गुट दाइश इन लोगों को अपने साथ सहयोग पर विवश करता है। वर्ष 2014 से अब तक इराक़ के जिन क्षेत्रों पर दाइश के आतंकियों ने नियंत्रण किया है वहां से 1496 बच्चों को सड़कों या घरों से उठा लिया है जिनमें से अधिकतर को दाइश ने सैन्य लक्ष्यों के लिए प्रयोग भी कर दिया है।
इसी मध्य संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिषद ने अक्तूबर 2015 में एक रिपोर्ट जारी कर करके कहा कि दाइश ने मूसिल में बच्चों के प्रशिक्षण के लिए चार बड़ी छावनियां बना रखी हैं। आतंकवादी गुट दाइश ने पूरे इराक़ से 1200 बच्चों का अपहरण किया है और इन छावनियों में इन्हें ट्रेंनिग दे रहे हैं।
खेद की बात यह है कि इराक़ी माता पिता दाइश के भय से अपने घरों को झोड़ रहे हैं और अपने बच्चों को दाइश से छिपाने के लिए उनके रोने और उनके खेलने कूदने पर भी प्रतिबंध लगा देते हैं। बहरहाल इराक़ के बच्चे अब भी दाइश के भय में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और दुनिया को इराक़ी बच्चों को नई ज़िंदगी देने के लिए आतंकवाद से संघर्ष के लिए इराक़ी सरकार और जनता का साथ देना चाहिए। (AK)