शेख ईसा क़ासिम के विरुद्ध सज़ा का आदेश एक ख़तरनाक खेल
बहरैन के न्यायालय ने रविवार की सुबह इस देश के वरिष्ठ धर्मगुरू शेख ईसा क़ासिम को सज़ा सुनाई है।
बहरैन के न्यायालय ने 21 मई को आदेश जारी करते हुए शेख ईसा क़ासिम को एक साल की सज़ा सुनाते हुए एक लाख दिरहम का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि इस सज़ा को तीन साल के लिए विलंबित किया गया है। न्यायालय ने वरिष्ठ शिया धर्मगुरू पर मनी लांड्रिंग का झूठा आरोप लगाया है। बहरैन के न्यायालय ने शेख ईसा क़ासिम के कार्यालय में मौजूद उस पैसे को मनी लांड्रिग बताया है जो ख़ुम्स और ज़कात के रूप में वहां मौजूद था।
हालांकि रविवार को बहरैनी न्यायालय ने शेख ईसा क़ासिम को एक साल के कारावास की सज़ा सुनाई है किंतु यह कार्य, धर्म के विरुद्ध आले ख़लीफ़ा शासन की शत्रुता को दर्शाता है। शेख ईसा क़ासिम के समर्थन मे ंबहरैन वासियों के प्रदर्शन और रैलियां, निश्चित रूप से आले ख़लीफ़ा शासन के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर सकती हैं। मनामा के "अद्दराज़" क्षेत्र में शेख ईसा क़ासिम के समर्थन में जारी प्रदर्शनों से आले ख़लीफ़ा शासन के सारे समीकरण धराशाई हो सकते हैं क्योंकि यह प्रदर्शनकारी, शेख ईसा क़ासिम के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हैं। अभी भी शेख ईसा क़ासिम के निवास स्थल के बाहर बहरैनवासी, अल्लाहो अकबर के नारे लगाते हुए उनके हित में प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले 44 सप्ताहों से प्रदर्शनकारी शेख ईसा क़ासिम के घर के बाहर धरना दिये बैठे हैं। इससे पता चलता है कि बहरैन की जतना अपने धर्मगुरूओं के प्रति कितनी समर्पित है। आले ख़लीफ़ा शासन की ओर से दमनकारी कार्यवाहियां किये जाने के बावजूद वरिष्ठ धर्मगुरू शेख ईसा क़ासिम के समर्थन में जनू सन 2016 से जारी यह धरना, धरना देने वालों और प्रदर्शनकारियों के अदम्य साहस का प्रतीक है।
टीकाकारों का कहना है कि बहरैन के न्यायालय की ओर से वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शेख ईसा क़ासिम के विरुद्ध सज़ा के फ़ैसले से बहरैन में परिस्थतियां परिवर्तित हो सकती हैं क्योंकि इससे पहले आले ख़लीफ़ा शासन, शेख ईसा क़ासिम के विरुद्ध किसी भी प्रकार के आदेश के दुष्परिणामों के भय से अपने निर्णय को चार बार स्थगित कर चुका था।