जॉर्डन सरकार पर इस्राईल से संबंध तोड़ने के लिए बढ़ता दबाव
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शुक्रवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में हज़ारों की संख्या में जनता ने ज़ायोनी शासन के दूतावास के सामने प्रदर्शन कर ज़ायोनी शासन के दूतावास को बंद करने और तेल अविव-अम्मान के बीच राजनैतिक संबंध ख़त्म करने की मांग की।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Aug ०५, २०१७ १६:४९ Asia/Kolkata

शुक्रवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में हज़ारों की संख्या में जनता ने ज़ायोनी शासन के दूतावास के सामने प्रदर्शन कर ज़ायोनी शासन के दूतावास को बंद करने और तेल अविव-अम्मान के बीच राजनैतिक संबंध ख़त्म करने की मांग की।

यह प्रदर्शन 23 जुलाई को अम्मान में ज़ायोनी दूतावास की निगरानी करने वाले गार्डो की फ़ायरिंग में जॉर्डन के 2 नागरिकों के मारे जाने और क़ुद्स में ख़ास तौर पर मस्जिदुल अक़्सा में ज़ायोनी शासन की ओर से जारी दमन की निंदा में आयोजित हुआ। जॉर्डन की जनता ने इसी तरह ज़ायोनी शासन के साथ गैस के समझौते को रद्द करने की भी मांग की और इस शासन से ग़ैस की ख़रीदारी के समझौते को जॉर्डन के ज़ायोनी शासन पर निर्भर होने और फ़िलिस्तीनियों के संसाधनों को लूटने में अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के साथ जॉर्डन के सहभागी होने के समान बताया।

एक ओर अम्मान में जॉर्डन की जनता ने ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर जॉर्डन के 82 सांसदों ने एक ख़त लिख कर जॉर्डन सरकार से ज़ायोनी शासन के राजदूत को अम्मान से निकालने की मांग की।

जॉर्डन में ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ व्यापक प्रदर्शन एक ओर जॉर्डन की जनता के मन में इस्राईल से घृणा को ज़ाहिर करता है तो दूसरी ओर जॉर्डन के अधिकारियों के सांठगांठ पर आधारित व्यवहार पर इस देश की जनता की आपत्ति को भी दर्शाता है। मिस्र के बाद जॉर्डन दूसरा देश था जिसने ज़ायोनी शासन के साथ आधिकारिक रूप से राजनैतिक व आर्थिक संबंध बनाए। जॉर्डन की जनता और राजनैतिक दल बारंबार प्रदर्शन कर ज़ायोनी शासन से संबंध विच्छेद की मांग कर चुके हैं। जॉर्डन की जनता के व्यापक प्रदर्शन दर्शाते हैं कि ज़ायोनी शासन के अरब देशों से संबंध बढ़ाने की कोशिश के बावजूद संबंध का यह स्तर सरकारी स्तर से आगे नहीं बढ़ा है बल्कि इन देशों में जनता के विरोध का असर अब संसद सहित सरकारी तंत्रों पर भी दिखाई दे रहा है। जॉर्डन की ससद की अम्मान से इस्राईल के राजदूत को निकाल बाहर करने की मांग इसी दृष्टि से समीक्षा योग्य है।

दूसरी ओर मध्यपूर्व के हालात से भी ज़ाहिर होता है कि ज़ायोनी शासन क्षेत्र में पूरी तरह अलग थलड़ पड़ता जा रहा है और इसका असर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पड़ रहा है। यह वह हक़ीक़त है जिसे ज़ायोनी अधिकारी पिछले हफ़्तों के दौरान कई बार मान चुके हैं और इस हक़ीक़त ने ज़ायोनी अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। (MAQ/T)