अमरीका के लिए सऊदी अरब और बहरैन की क्या है भूमिका?
अमरीका ईरान के विरुद्ध प्रोपेगैंडे तथा ईरानोफ़ोबिया का माहौल बनाकर बहरैन में एक बैठक आयोजित करने वाला है।
ट्रम्प प्रशासन, पश्चिमी एशिया और फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए हर प्रकार के हथकंडों का प्रयोग कर रहा है। फ़ार्स की खाड़ी और पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अमरीका की नीतियों ने क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया है और इस क्षेत्रीय अशांति का विदेशी सैनिकों की गतिविधियों से सीधा संबंध है।
अमरीकी सरकार, ईरानोफ़ोबिया की छत्रछाया में फ़ार्स की खाड़ी और पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अपने आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए क्षेत्र को विभिन्न प्रकार के हथियारों से भर दिया है।
फ़ार्स की खाड़ी और पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अमरीका को अपनी नीतियों को आगे बढ़ने के लिए सऊदी अरब और बहरैन सहित फ़ार्स की खाड़ी के कुछ दक्षिणी देशों की आवश्यकता है। यही कारण है कि टीकाकार क्षेत्र में अमरीका की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए सऊदी अरब और बहरैन को अमरीकी हथकंडे के रूप में याद करते हैं।
इसी परिधि में अमरीका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से टेलीफ़ोनी वार्ता में क्षेत्र में ईरान की भूमिका और समुद्री सुरक्षा के बारे में बातचीत की।
माइक पोम्पियो ने इस वार्ता में सऊदी अरब की ख़ूब तारीफ़ की और क्षेत्र में तनाव फैलाने और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को ख़तरे में डालने की रियाज़ की भूमिका की अनदेखी करते हुए समुद्री सुरक्षा की स्थापना में सऊदी अरब को प्रभावी देश बता डाला।
उधर बहरैन के विदेशमंत्रालय ने जहाज़रानी और उड्डयन विभाग की सुरक्षा की आड़ में ईरान विरोधी कांफ़्रेंस की मेज़बानी की घोषणा की है। अक्तूबर महीने में मनामा में होने वाली यह कांफ़्रेस वास्तव में पोलैंड की राजधानी वार्सा में जारी वर्ष फ़रवरी में होने वाली ईरान विरोधी बैठक का ही क्रम है। ईरान का हमेशा से यही कहना है कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना, क्षेत्रीय देश आपस में मिलकर करें और विदेशियों से किसी भी प्रकार की सुरक्षा की आपूर्ती नहीं हो सकती। (AK)