क्या आरएसएस प्रमुख, समलैंगिकता के समर्थक हैं?
यूट्यूबर और दक्षिणपंथी लेखक संदीप देव ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, ‘पाञ्चजन्य’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर और ‘ऑर्गनाइज़र’ के संपादक हितेश शंकर के ख़िलाफ़ कथित रूप से हिंदु भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत के अनुसार, आरएसएस के दो मुखपत्रों के साथ भागवत के हालिया साक्षात्कार ने समलैंगिकता का समर्थन किया और इसे हिंदु धार्मिक हस्तियों के साथ जोड़ा। भागवत पर श्रीकृष्ण के ख़िलाफ भड़काऊ टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया गया है।
देव ने अपने ब्लॉग पर दावा किया कि उन्होंने दोनों पत्रिकाओं के संपादकों से खेद व्यक्त करने और खंडन छापने का आग्रह करने के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर मैसेज का जवाब नहीं दिया।
उन्होंने ट्विटर पर संघ प्रमुख को टैग भी किया था और अनुरोध किया था कि वह बयान वापस लें। सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव ने भी शिकायत की एक प्रति अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है।
साक्षात्कार में भागवत ने कहा कि हिंदु सभ्यता ने परंपरागत रूप से एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को स्वीकार किया है। उन्होंने महाभारत से निम्नलिखित संदर्भ दिया:
जरासंध के दो सेनापति थे, हंस और दिंभक. ये इतने अच्छे मित्र थे कि जब कृष्ण ने अफवाह फैलाई कि दिंभक मर गया तो हंस ने आत्महत्या कर ली. कृष्ण ने दोनों सेनापतियों को ऐसे ही मार डाला. ये वही चीज है, इन दोनों के वैसे संबंध थे, मनुष्यों में ये एक प्रकार है, पहले से है. जब से मनुष्य आया, तब से है, क्योंकि मैं जानवरों का डॉक्टर हूं तो जानवरों में भी ये प्रकार मिलते हैं, एक बायोलॉजिकल विधा है, उसमें ये भी एक प्रकार है, उनको भी जीना है, जो उनका एक अलग प्रकार है, उसके अनुसार उनको एक अलग प्राइवेट स्पेस मिले और सारे समाज के साथ हम भी हैं, ऐसा उनको लगे, इतना आसान है, इसकी व्यवस्था बिना हो-हल्ला किए हमारी परंपरा में हम करते आए हैं, हमको ऐसा विचार आगे करना होगा क्योंकि बाकी बातों से हल निकला नहीं और निकलने वाला है नहीं, स्पष्ट हो रहा है, इसलिए संघ इन सब बातों पर अपनी परंपराओं के अनुभवों को भरोसेमंद मानकर विचार करता है।
देव की शिकायत में कहा गया है कि हंस और दिंभक का एक समलैंगिक जोड़े के रूप में चित्रण या ‘एक-दूसरे के प्रति आकर्षण होना’ तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है और उन्होंने इस ‘ऐतिहासिक घटना’ के वास्तविक संस्करण के तौर पर ‘श्री हरिवंश पुराण’ का हवाला दिया।
शिकायत में कहा गया है, ‘ऐसा हमेशा से है कि हमारे मन एलजीबीटी+ समुदाय के लिए भी सम्मान है, लेकिन हिंदू या सनातन धर्म का व्यक्ति होने के नाते हम जानते हैं कि शास्त्रों से तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने को कभी प्रोत्साहित नहीं किया जाता है।
ब्लॉग में देव कहते हैं कि पश्चिम की तथाकथित औपनिवेशिक और अब्राहमिक ताकतों द्वारा ‘भारत की परिवार व्यवस्था को तोड़ने’ की कथित सदियों पुरानी ‘साजिश’ अब संघ में भी घर कर गई है।
उनका कहना है कि आरएसएस प्रमुख हिंदू शास्त्रों की गलत व्याख्या पेश कर रहे हैं और संघ की विचारधारा की पत्रिकाएं इसे प्रकाशित कर रही हैं।
कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने भी भागवत की आलोचना की और भागवत की ईमानदारी एवं आचरण को लेकर में कुछ उत्तेजक आरोप लगाए। (AK)
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