आरएसएस प्रमुख का बयान क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है
(last modified Thu, 06 Jul 2023 05:47:13 GMT )
Jul ०६, २०२३ ११:१७ Asia/Kolkata
  • आरएसएस प्रमुख का बयान क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है

भारत के कट्टरपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि संघ के नेताओं ने हमेशा हिंसा का विरोध किया है।

मोहन भागवत दशकों पहले नरेंद्र मोदी जो उस समय संघ कार्यकर्ता थे और राजाभाई नेने द्वारा गुजराती में लिखी गई आरएसएस नेता दिवंगत लक्षमणराव ईनामदार की जीवनी के मराठी अनुवाद के विमोचन पर बोल रहे थे।

बताया जाता है कि महाराष्ट्र के सतारा के रहने वाले ईनामदार का प्रधानमंत्री मोदी के जीवन पर बड़ा प्रभाव था।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आपातकाल के दौरान प्रसिद्ध बड़ौदा डायनामाइट मामले, जिसमें समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस को गिरफ्तार किया गया था, का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि मैं तब लगभग 25 वर्ष का था, बड़ौदा डायनामाइट केस के बाद हम युवाओं को लगा कि हम कुछ साहसी काम कर सकते हैं, युवाओं को संघर्ष और साहस पसंद है लेकिन लक्षमणराव ईनामदार ने हमें यह कहकर मना कर दिया कि ये आरएसएस की शिक्षा नहीं है।

भागवत ने कहा कि ईनामदार ने उन्हें कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने संविधान का पूरी तरह से अपमान किया है, लेकिन यह ब्रिटिश राज नहीं है और आरएसएस हिंसा को स्वीकार नहीं करता।

उन्होंने कहा कि आरएसएस के मूलभूत विचार सकारात्मक हैं और हम यहां किसी का विरोध करने के लिए नहीं हैं।

आरएसएस प्रमुख ने किताब विमोचन कार्यक्रम में यह भी कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है। भागवत ने कहा कि कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है, कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं। (AK)

 

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