भारत, पाकिस्तान के बीच एक बार फिर जल वार्ता
भारत और पाकिस्तान एक बार फिर जल वार्ता आरंभ करने जा रहे हैं।
तसनीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार “चिनाब नदी” पर निर्माणाधीन जल योजनाओं के निरीक्षण के लिए सिंधु जल आयुक्त की अध्यक्षता में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत चला पहुंच रहा है। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु जल आयुक्त मेहर अली शाह कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल चिनाब नदी पर बनाई गई भारतीय परियोजनाओं निरीक्षण करेगा।
दूसरी ओर वार्ता से पहले ही पाकिस्तान की ओर से भारत पर कई आरोप लगाए गए हैं। इस्लामाबद का कहना है कि भारत सिंधु जल संधि का लगातार उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक के सामने जम्मू-कश्मीर में भारत के किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजना का मुद्दा कई बार उठा चुका है। पाक ने रातले, किशनगंगा सहित भारत द्वारा बनाए जा रहे 5 पनबिजली परियोजनाओं के डिजाइन को लेकर चिंता जाहिर की थी और वर्ल्ड बैंक से कहा था कि ये डिजाइन सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैं। इन परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान ने साल 2016 में विश्व बैंक को शिकायत कर पंचाट के गठन की मांग की थी।
पाकिस्तान लगातार जम्मू-कश्मीर में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि ये प्रॉजेक्ट्स भारत के साथ हुए सिंधु जल समझौते के अनुरूप नहीं हैं। जबकि, भारत का कहना है कि परियोजनाएं समझौते का उल्लंघन नहीं करती हैं और वर्ल्ड बैंक को एक निष्पक्ष एक्सपर्ट नियुक्त करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 1947 में आज़ादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के मामले पर हमेशा से खींचतान चली आ रही है और नहरों के पानी पर खूब विवाद हुआ। विभाजन के बाद नहरों के पानी को लेकर पाकिस्तान सशंकित हो गया था। 1949 में एक अमेरिकी एक्सपर्ट डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक की जगह तकनीकी तथा व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी। लिलियेन्थल ने दोनों देशों को राय दी कि वे इस मामले में विश्व बैंक से मदद भी ले सकते हैं। सितंबर 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करना स्वीकार भी कर लिया। वर्षों चली बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर समझौता हुआ। इसे ही 1960 की सिन्धु जल संधि कहते हैं। (RZ)