सीएए के ख़िलाफ़ केरल विधानसभा के प्रस्ताव पर घमासान
(last modified Thu, 02 Jan 2020 08:16:44 GMT )
Jan ०२, २०२० १३:४६ Asia/Kolkata
  • सीएए के ख़िलाफ़ केरल विधानसभा के प्रस्ताव पर घमासान

केरल विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर नागरिकता संशोधन क़ानून रद्द करने की मांग की है जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में वाकयुद्ध छिड़ गया है।

भारत के केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय क़ानून लागू करना राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जो राज्य यह बात करते हैं कि वे संशोधित नागरिकता क़ानून को लागू नहीं करेंगे उन्हें उचित वैधानिक राय लेनी चाहिए। नागरिकता क़ानून संसद में बना है और संसद, केंद्रीय सूची के तहत आने वाले विषयों पर पूरे भारत के लिए क़ानून बना सकती है। संविधान के अनुच्छेद 245 का उल्लेख करते हुए रविशंकर ने कहा कि राज्य, संसद द्वारा पारित कानूनों का विरोध नहीं कर सकते बल्कि हर राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह संविधान के प्रावधानों का पालन करे।

 

दूसरी ओर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भाजपा के विरोध को ख़ारिज करते हुए कहा है कि विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव केंद्र की ओर से पारित असंवैधानिक क़ानून के ख़िलाफ़ है और पूरा देश इसे देख रहा है। संसद के विशेषाधिकार के हनन के आरोप पर उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं के अपने विशेषाधिकार होते हैं और उनका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। वामदलों और कांग्रेस ने भी विधानसभा के प्रस्ताव पारित करने को सही ठहराया और भाजपा की आलोचना की।

 

सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि केंद्र को राज्यों की बात सुननी चाहिए और समझना चाहिए कि भारत एक निर्वाचित संसद और निर्वाचित विधानसभाओं वाला देश है। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि केरल विधानसभा के फ़ैसले पर सवाल उठाने का किसी को अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राजनैतिक दलों ने संसद और सड़क पर इस क़ानून का विरोध किया है। कांग्रेस नेता केटीएस तुलसी ने कहा है कि राज्य विधानसभा को प्रस्ताव पास करने का अधिकार है और इससे क़ानून का बिलकुल उल्लंघन नहीं होता। (HN)

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