एमनेस्टी की भारत से गिरफ़तार गर्भवती स्कालर की रिहाई की मांग
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एमनेस्टी इंटरनैशनल ने भारत सरकार से मांग की है कि वह दिल्ली में नागरिकता के विवादित क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के आरोप में गिरफ़तार गर्भवती स्कालर सफ़ूरा ज़रगर को रिहा किया जाए।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
May ०२, २०२० १९:५१ Asia/Kolkata
  • एमनेस्टी की भारत से गिरफ़तार गर्भवती स्कालर की रिहाई की मांग

एमनेस्टी इंटरनैशनल ने भारत सरकार से मांग की है कि वह दिल्ली में नागरिकता के विवादित क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के आरोप में गिरफ़तार गर्भवती स्कालर सफ़ूरा ज़रगर को रिहा किया जाए।

मानवाधिकार के अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने ट्वीटर पर यह मांग दोहराते हुए कहा है कि रिसर्च स्कालर सफ़ूरा ज़रगर को जब गिरफ़तार किया गया था उस समय वह 3 महीने की गर्भवती थीं।

संगठन ने अपने ट्वीट में कहा है कि भारत सरकार ने बेदर्दी से एक गर्भवती महिला को गिरफ़तार किया और कोरोना वायरस के दौरान गुंजाइश से अधिक क़ैदियों वाली जेल में उन्हें बंद कर दिया।

सफ़ूरा को 10 अप्रैल को गिरफ़तार किया गया था और उन पर आतंकवाद निरोधक क़ानून के तहत मुक़द्दमा दर्ज किया गया।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रिसर्च स्कालर और जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की मीडिया कोआर्डिनेटर सफ़ूरा ज़रगर ने पिछले साल दिसम्बर में सीएए के ख़िलाफ़ नई दिल्ली में कई हफ़्तों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था।

टाइम्ज़ आफ़ इंडिया के अनुसार पुलिस ने कहा है कि सफ़ूरा को तिहाड़ जेल में अलग सेल में रखा जा रहा है जहां उन्हें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

ज्ञात रहे कि 10 फ़रवरी को सफ़ूरा ज़रगर पुलिस और छात्रों के बीच झड़प में बेहोश हो गई थीं जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

इसके बारे में उनके पति ने बताया कि इसके बाद से गर्भ का समय जैसे जैसे बढ़ रहा था उन्होंने अपनी गतिविधियां बहुत सीमित कर दी थीं जबकि कोरोना वायरस के बाद से उन्होंने ज़रूरत के काम के अलावा घर से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था और ज़्यादातर घर से काम करती थीं।

ज़रगर के वकील ने बताया कि उन्हें अदालत से ज़मानत मिल गई थी लेकिन पुलिस ने उन्हें दूसरे केस में गिरफ़तार कर लिया।