विपक्ष के आठ सांसद राज्य सभा से निलंबित, क्या अब सांसदों को भी बोलने की आज़ादी नहीं रही?
(last modified Mon, 21 Sep 2020 05:29:04 GMT )
Sep २१, २०२० १०:५९ Asia/Kolkata
  • विपक्ष के आठ सांसद राज्य सभा से निलंबित, क्या अब सांसदों को भी बोलने की आज़ादी नहीं रही?

रविवार को भारतीय संसद के उच्च सदन में कृषि विधेयकों को लेकर हुई बहस के एक दिन बाद सोमवार को राज्य सभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने विपक्ष के आठ सांसदों को सदन की कार्रवाई से एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, सोमवार सुबह भारतीय संसद के उच्च सदन की कार्रवाई शुरू होते ही राज्य सभा अध्यक्ष नायडू ने रविवार की घटनाओं को सदन के लिए एक बुरा दिन बताया और विपक्ष के सांसदों के व्यवहार की निंदा की। इसके बाद संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने रविवार की कार्रवाई पर एक वक्तव्य देते हुए विपक्ष के आठ सांसदों को नाम लेकर चिन्हित किया, जिसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें निलंबित कर दिया। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के सदस्य राजीव साटव, रिपुन बोरान और सय्यद नसीर हुसैन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन और डोला सेन, सीपीआई के केके राजेश और एलामारन करीम और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह शामिल हैं।

 

विपक्षी सांसदों के निलंबन की घोषणा करते हुए कैया नायडू ने कहा कि "कुछ सांसद वेल में आ गए थे, उन्होंने उपसभापति हरिवंश को उनका कार्य करने से रोका... दुर्भाग्यपूर्ण और निंदा-योग्य है...मैं इन सांसदों को आत्म-मंथन करने की सलाह देता हूं।" नायडू ने हरिवंश के ख़िलाफ़ विपक्ष के सांसदों द्वारा अविश्वास मत के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि सदन के नियम उपसभापति के ख़िलाफ़ अविश्वास-मत की अनुमति नहीं देते। विपक्ष का आरोप है कि हरिवंश ने सरकार के कहने पर दो महत्वपूर्ण कृषि-संबंधी विधेयकों पर विपक्ष के सांसदों द्वारा सदन में मतदान की मांग को ठुकरा दिया और विधेयकों को ध्वनि मत से पारित करा दिया।

 

वहीं टीकाकारों का कहना है कि जिसतर संसद के बाहर लगातार मोदी सरकार विरोधी, या किसी भी बीजेपी शासित राज्य के ख़िलाफ़ कोई भी व्यक्ति बोलता है तो उसपर राजद्रोह का मुक़द्दमा लिख जाता है उसी तरह अब देश की संसद में विपक्षी सांसदों के साथ व्यवहार किया जा रहा है। जबकि भारतीय संविधान हर भारतीय को यह अधिकार देता है कि वह क़ानून के दायरे में रहते हुए किसी भी मामले में सरकार की नीतियों का आलोचना कर सकता है। टीकाकारों के अनुसार ऐसा लग रहा है कि अब वह समय दूर नहीं जब संसद भी सत्ताधारी पार्टी के कार्यालय की तरह होगा जहां विपक्ष नहीं हुआ करेगा। कई भारतीय हस्तियों ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस समय भारत में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है। (RZ)

 

टैग्स