हाथरस गैंगरेप, ज़िम्मेदारों को बचाने में पूरी तरह जुटी यूपी सरकार, सुप्रीम कोर्ट में किया दावा, पीड़िता ने दर्ज कराए दो बयान
(last modified Wed, 07 Oct 2020 16:04:57 GMT )
Oct ०७, २०२० २१:३४ Asia/Kolkata
  • हाथरस गैंगरेप, ज़िम्मेदारों को बचाने में पूरी तरह जुटी यूपी सरकार, सुप्रीम कोर्ट में किया दावा, पीड़िता ने दर्ज कराए दो बयान

उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 19 वर्षीय दलित युवती के गैंगरेप और अस्पताल में उसकी मौत के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने एक हलफ़नामा दायर कर कहा है कि 14 सितम्बर को अलीगढ़ के जवाहरलाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती दलित युवती ने दो बयान दर्ज कराए थे।

उत्तर प्रदेश सरकार के हलफ़नामे के अनुसार युवती का पहला बयान 19 सितम्बर को एक महिला कॉन्स्टेबल ने अस्पताल में दर्ज किया जिसमें उसने कहा था कि चारों आरोपियों में से संदीप ने उसका उत्पीड़न किया था और दुपट्टे से गला घोंटकर मारने की कोशिश की थी।

यूपी सरकार के हलफ़नामे में कहा गया है कि 19 सितम्बर को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत महिला कॉन्स्टेबल रश्मि ने युवती का बयान दर्ज किया। उस समय वह अस्पताल के न्यूरो वॉर्ड के आईसीयू में बेड नंबर नौ में भर्ती थीं। यह बयान उनके माता-पिता के साथ लिया गया जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। इस बयान के आधार पर पुलिस ने तुरंत आईपीसी की धारा 354 के तहत एफ़आईआर दर्ज की थी।

राज्य सरकार ने बयान की इस कॉपी को हलफ़नामे के साथ संलग्न नहीं किया था।

हलफ़नामे में कहा गया कि दो दिनों बाद 21 सितम्बर को युवती के परिजनों ने बताया कि वे चाहते हैं कि उनकी बेटी का बयान दोबारा लिया जाए।

हलफ़नामे के अनुसार, इस आग्रह पर जांच अधिकारी एक महिला हेड कॉन्स्टेबल सरला के साथ अलीगढ़ अस्पताल पहुंचे और आईसीयू के वॉर्ड नंबर चार में युवती का बयान दोबारा दर्ज किया जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। युवती ने पहली बार कहा कि जब मैं अपनी मां के साथ चारा इकट्ठा करने गई थी तो मेरे ही गांव के संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने मेरा बलात्कार किया, इसके बाद संदीप ने दुपट्टे से मेरा गला घोंटने की कोशिश की।

हिन्दी भाषा के वास्तविक बयान की कॉपी पर युवती के अंगूठे का निशान भी है, इसके साथ बयान की अनुवाद कॉपी को हलफ़नामे के साथ संलग्न किया गया है।

हलफ़नामे में कहा गया है कि युवती से इस बारे में पूछताछ भी की गई थी कि उन्होंने पहले बयान में कहा था कि संदीप ने उनका उत्पीड़न किया था लेकिन अब कह रही हैं कि चारों आरोपियों ने बलात्कार किया, जिस पर युवती ने कहा कि वह उस समय पूरी तरह से होश में नहीं थीं। उन सभी ने मेरा बलात्कार किया और मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहती।

सरकार के हलफ़नामे में कहा गया है कि युवती के भाई द्वारा 14 सितम्बर को दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया था कि संदीप ने मेरी बहन को मारने की मंशा से उसका गला घोंटा था।

हलफ़नामे के अनुसार युवती ने यह भी कहा कि संदीप ने हाथ से उनका गला दबाकर मारने की कोशिश की और इस वजह से उनके गले में दर्द हो रहा था, युवती और उनकी मां दोनों ने वीडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट तौर पर कहा है कि गर्दन के अलावा उन्हें कहीं और चोटें नहीं आई। आरोपी सिर्फ़ संदीप था, इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ था।

हलफ़नामे में कहा गया कि अलीगढ़ के डॉक्टरों ने परिजनों को बार-बार सलाह दी की कि वह युवती को रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञ अस्पताल में भर्ती करने के लिए सहमति दें ताकि उनका बेहतर इलाज हो सके लेकिन परिजनों ने इसके लिए सहमति देने से इनकार कर दिया।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पिता और भाई द्वारा कथित तौर पर हस्ताक्षर किए गए बयान में कहा गया है कि मैं पीड़िता का भाई हूं और हम इलाज से संतुष्ट हैं, हम मरीज़ को यहीं रखेंगे, अगर मरीज़ को कुछ होता है तो इसके लिए डॉक्टर या अस्पताल ज़िम्मेदार नहीं होगा।

संलग्न किए गए दस्तावेज़ों के अनुसार, 28 सितम्बर को युवती को दिल्ली शिफ़्ट करने का फ़ैसला लिया गया, जेएन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की रिपोर्ट में कहा गया है कि आग्रह पर एम्स में रेफ़र किया जा रहा है।

दस्तावेज़ों के अनुसार युवती के इलाज और उन्हें शिफ़्ट करने के दौरान उनके परिजनों को उनकी सेहत के बारे में सटीक राय नहीं दी गई। परिजन बेहतर इलाज के लिए उन्हें एम्स में भर्ती कराना चाहते थे।

हालांकि, इसके बाद युवती को सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

ज्ञात रहे कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर बताया था कि क़ानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए युवती के शव का 29 सितम्बर की देर रात अंतिम संस्कार किया गया था।

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