यूपी और बिहार महिलाओं के लिए बनता जा रहा है मौत का कुआं, बहन बेटियों की इज़्ज़त की नहीं वोट की है चिंता!
(last modified Wed, 18 Nov 2020 13:19:18 GMT )
Nov १८, २०२० १८:४९ Asia/Kolkata
  • यूपी और बिहार महिलाओं के लिए बनता जा रहा है मौत का कुआं, बहन बेटियों की इज़्ज़त की नहीं वोट की है चिंता!

भारत के सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार महिलाओं के लिए मौत का कुआं बनता जा रहा है। वैसे तो भारत के ज़्यादातर इलाक़ों से हर दिन बलात्कार की ख़बरें आना आम सी बात बनती जा रही है, लेकिन बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार से इस तरह की दिल दहला देने वाले समाचार सबसे ज़्यादा सामने आते हैं। हाल ही में बिहार में हुई एक क्रूरतापूर्ण घटना में बदमाशों ने छेड़खानी का विरोध करने पर एक युवती को ज़िन्दा जला दिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से यह दावा करते आएं हैं कि उनके राज्य में उपराध का ग्राफ़ नीचे आया है, पर उनके यह दावे केवल हवा हवाई हैं, क्योंकि इन दोनों बीजेपी शासित राज्यों में न केवल अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है बल्कि अपराधियों के हौसले भी बुलंद हैं। अपराधियों को न तो पुलिस का ख़ौफ़ है और न ही क़ानून का डर। इसकी वजह अपराध को अंजाम देने वालों का किसी न किसी भगवा ब्रिग्रेड से जुड़ा होना बताया जाता है। ताज़ा एक मामला बिहार के वैशाली ज़िले के चांदपुरा पुलिस थाने इलाक़े में 20 साल की युवती को ज़िन्दा जलाने का सामने आया है। आरोप है कि युवती ने छेड़खानी का विरोध किया था जिसके बाद गांव के ही दबंगों ने उसे ज़िन्दा जला दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 अक्टूबर को गांव के तीन लोगों ने केरोसीन डालकर उसे ज़िन्दा जला दिया था। युवती का इलाज हाजीपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था और जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसे पटना पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। 15 दिन बाद उसकी मौत हो गई। परिवार ने पटना के करगिल चौक पर आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग पर 15 नवंबर को विरोध प्रदर्शन भी किया था। उधर पीड़िता के द्वारा मरने से पहले दिए गए बयान पर न केवल पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि स्थानीय पुलिस सूत्रों का कहना है कि ऊपर से आदेश थे कि इस मामले को चुनाव तक दबा कर रखा जाए, नहीं तो चुनाव में इसका असर पड़ेगा।

अब बिहार का चुनाव समाप्त हो चुका है परिणाम सामने आ चुके हैं, तो पुलिस भी हरकत में आई है। मंगलवार को पुलिस के आश्वासन के बाद परिवार ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इसी बीच पुलिस ने 18 दिन बाद मामले के मुख्य आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने कहा है कि अन्य दो आरोपियों को भी जल्द गिरफ़्तार कर लिए जाएगा। इस बीच नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण के बाद एक बार फिर चौथी बार बिहार की बागड़ोर संभाल ली है। बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने युवती को ज़िन्दा जलाने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं विपक्ष ने राज्य में "जंगल राज" का मुद्दा उठाते हुए केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधा है। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक अख़बार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस अपराध के बारे में बीजेपी और जेडीयू से सवाल किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट के ज़रिए सवाल किया है कि, "किसका अपराध ज़्यादा ख़तरनाक है, जिसने अमानवीय कर्म किया है या जिसने चुनावी फ़ायदे के लिए इसा छुपाया ताकि इस कुशासन पर अपने झूठे सुशासन की नींव रख सकें।" वहीं तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर पूछा है कि, "कहां है एलईडी की रोशनी दिल्ली से बाहर आकर जंगलराज खोजने वाले? Nation Wants to Know जंगलराज का महाराजा कौन है?"

वहीं उत्तर प्रदेश कि जिसके मुख्यमंत्री योग आदित्यानाथ हैं और वह महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा बड़ी-बड़ी बात करते हैं, लेकिन ज़मीन पर उनके सारे दावे केवल खोखले ही निकलते हैं। याद रखें कि मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने पूरे यूपी की सड़कों को कुछ ही महीनों में गढ्ढा मुक्त करने की बात कही थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि पूरे यूपी की सड़कें केवल गढ्ढा युक्त ही दिखाई देती हैं। इधर कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक महिलाओं के ख़िलाफ़ कई अपराध के मामले बीते दिनों में सामने आए हैं। कहीं बलात्कार पीड़ित को इंसाफ नहीं मिला तो कहीं छेड़खानी से परेशान हो कर छात्रा ने आत्महत्या कर ली। बुलंदशहर में एलएलबी की छात्रा ने न्याय नहीं मिलने पर ख़ुदकुशी कर ली। उसने तीन लोगों पर अगवाकर गैंगरेप का आरोप लगाया था, सोमवार को युवती ने इंसाफ़ नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली और एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसपर उसने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि गैंगरेप के एक आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है। पीड़ित युवती ने पिछले महीने पुलिस में इसकी शिकायत की थी लेकिन आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। बताया जाता है कि आरोपियों का संबंध किसी कट्टरपंथी भगवा ब्रिग्रेड से था जिसके दबाव में पुलिस अपराधियों को गिरफ़्तार करने के बजाए उनको बचाने के रास्ते तलाश कर रही थी। याद रहे कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मिशन शक्ति की शरुआत की थी लेकिन जानकारों का मानना है कि जब तक बिना धर्म का चश्मा लगाए कोई मिशन नहीं शुरू किया जाता तब तक इस तरह के अपराध न केवल कम नहीं होगें बल्कि इसमें दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी ही होती जाएगी। विपक्षी पार्टियां भी योगी सरकार से सवाल कर रही हैं कि मिशन शक्ति अभियान कितना सफल रहा है? (RZ)

 

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