कश्मीर में फिर किसी अनहोनी की आहट, 25 हज़ार अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी घाटी के लिए रवाना
28 नवंबर को कश्मीर में स्थानीय चुनाव होने हैं, लेकिन अभी स्थिति काफ़ी तनावपूर्ण बनी हुई है। मोदी सरकार अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी भेज रही है और राज्य में पुलिस प्रत्याशियों को नामांकन भरने के बाद अपनी निगरानी में रख रही है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत प्रशासित कश्मीर में ज़िला विकास परिषदों के लिए होने वाले चुनावों के पहले चरण में 28 नवंबर को 10 ज़िलों में मतदान होगा, जहां कुल 167 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे चरण के लिए 227 प्रत्याशी नामांकन भर चुके हैं। चुनावों के मद्देनज़र सुरक्षा ज़रूरतों के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे अर्ध-सैनिक बलों से 25 हज़ार अतिरिक्त जवान घाटी में भेजे जा रहे हैं। घाटी में आए दिन छापामारों और भारतीय सुरक्षा बलों के बीच झड़पें होती रहती हैं। गुरूवार सुबह भी नगरोटा में एक मुठभेड़ हुई जिसमें चार छापामार हताहत और कई सुरक्षाकर्मीयों के घायल होने की ख़बर आई है। मुठभेड़ के बाद जम्मू-श्रीनगर राज्यमार्ग को बंद कर दिया गया है। बुधवार को पुलवामा ज़िले में अलगाववादियों ने एक ग्रेनेड हमला किया जिसमें कम से कम 12 लोग घायल हो गए।
भारत प्रशासित कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा धारा-370 समाप्त होने के बाद जिस तरह मोदी सरकार ने दावा किया था कि अब कश्मीर के हालात जल्द बदल जाएंगे और वहां शांति स्थापित हो जाएगी, तो मोदी सरकार के अन्य वादों और दावों की तरह यह भी हवा-हवाई निकला, बल्कि 5 अगस्त के बाद से कश्मीर में अशांति पहले से कहीं ज़्यादा हुई है और लगातार छापामारों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों का सिलसिला जारी है। हाल के दिनों में घाटी में घटती घटनाएं दर्शाती हैं कि कश्मीर में अभूतपूर्व संख्या में सुरक्षाकर्मियों के होने और सरकार के दावों के बावजूद वहां स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। इन सब के बीच चुनावों का शांतिपूर्ण ढंग से स्थानीय चुनाव का आयोजन कैसे होगा, यह देखने वाली बात होगी। पहले की तरह विपक्षी पार्टियां चुनावों का बहिष्कार नहीं कर रही हैं, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि उनके उम्मीदवारों को पुलिस कैंपेन नहीं करने दे रही है। पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि जिन प्रत्याशियों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है सिर्फ उन्हें ही सुरक्षा दी जा रही है। याद रखें कि बीत कुछ महीनों में राज्य में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है।
इस बीच चुनावों के पहले घाटी में राजनीति भी गरमा रही है। विपक्षी पार्टियों के "गुपकार गठबंधन" को 'गैंग' कहने पर भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना हो रही है। कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती द्वारा विरोध जताए जाने के बाद अब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज़ ने कहा है कि भारत के केंद्रीय गृह मंत्री जब इस तरह के बयान देते हैं तो उस से दुनिया में पूरे देश की छवि ख़राब होती है। दो दिन पहले शाह ने ट्वीट करके कहा था कि 'गुपकार गैंग' विदेशी ताक़तों से कश्मीर में हस्तक्षेप करवाना चाहता है और वह भारत के तिरंगे झंडे का भी तिरस्कार करता है। इस बीच टीकाकारों का मानना है कि घाटी में अतिरिक्त 25 हज़ार सुरक्षा बलों का भेजा जाना, केवल चुनाव को सुरक्षित संपन्न कराने के लिए नहीं है, बल्कि मोदी सरकार के मन में कुछ ऐसा चल रहा है कि जिसके बारे में अभी कुछ कहना समय से पहले होगा। टीकाकारों का अनुसार, कश्मीर में पहले से ही हज़ारों की संख्या में सुरक्षा कर्मी मौजूद हैं कि जिनकी मदद से आसानी से शंतिपूर्ण तरीक़े से चुनाव का आयोजन कराया जा सकता हैस, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों का घाटी भेजा जाना किसी अनहोनी की आहट दिखाई पड़ती है। (RZ)