कश्मीर में 16 साल के किशोर का शव मांगने पर परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ ख़तरनाक धाराओं की तहत मुक़द्दमे
भारत प्रशासित कश्मीर के केन्द्र श्रीनगर में, भारतीय सुरक्षा बलों के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गये एक किशोर के शव को मांगने पर, परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ कठोर आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत केस दर्ज किया गया है।
16 साल का अतहर मुश्ताक़, जो पुलवामा के बेलो गांव का निवासी था, मारे गए उन तीन लोगों में था, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बल ने 30 दिसंबर को श्रीनगर के उपनगरीय इलाक़े में उस वक़्त मार दिया, जब पुलिस के मुताबिक़, उन्होंने मुठभेड़ के दौरान हथियार डालने से इंकार किया।
पुलिस का कहना है कि 22 साल के एजाज़ ग़नी और 25 साल के ज़ुबैर लोन, आतंकियों के बहुत ही सक्रिय साथी थे। लेकिन अतहर मुश्ताक़ के पिता मुश्ताक़ अहमद वानी का कहना है कि उनके बेटे को फ़ेक एन्काउंटर में मारा गया।
स्थानीय प्रशासन ने इन तीन लोगों के शव उनके परिवार वालों को वापस करने से मना कर दिया और उनके शवों को श्रीनगर से क़रीब 115 किलोमीटर दूर सोनमर्ग में एक क़ब्रिस्तान में इस तरह दफ़्न कर दिया कि उनकी क़ब्रों के निशान तक नहीं हैं।
पिछले साल अप्रैल में भारत सरकार की ओर से अपनायी गयी नीति के तहत, भारत प्रशासित कश्मीर के प्रशासन ने 100 से ज़्यादा कथित अल्गाववादियों के शवों को, उनके परिजनों को सही तरीक़े से अंतिम संस्कार करने से रोकते हुए ऐसी क़ब्रों में दफ़्न कर दिया जिनके निशान तक नहीं है। स्थानीय प्रशासन की इस नीति से घाटी में भारत विरोधी भावनाएं मज़बूत हो रही हैं।
मुश्ताक़ अहमद वानी ने अल्जज़ीरा से बातचीत में बताया कि अपने बेटे का शव मांगने पर उनके ख़िलाफ़, उनके भाइयों, तीन दूसरे रिश्तेदारों, और स्थानीय मस्जिद के इमाम के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत केस दर्ज हुआ है। (MAQ/N)
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