अमरीकी व्यवहार ही है वियना वार्ता की सबसे बड़ी बाधाः अली शमख़ानी
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अली शमख़ानी ने कहा है कि किसी भी समझौते के लिए अमरीका की वादा ख़िलाफ़ी ही गंभीर ख़तरा है।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Feb १६, २०२२ १३:४३ Asia/Kolkata
  • अमरीकी व्यवहार ही है वियना वार्ता की सबसे बड़ी बाधाः अली शमख़ानी

अली शमख़ानी ने कहा है कि किसी भी समझौते के लिए अमरीका की वादा ख़िलाफ़ी ही गंभीर ख़तरा है।

ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव का कहना है कि वचन देने के बाद उसको पूरा न करने की अमरीकी नीति ही हर समझौते के लिए ख़तरनाक है।

उन्होंने कहा कि वादा ख़िलाफ़ अमरीका और वचन पूरा न करने वाले यूरोप के होते हुए किसी समझौते का होना संभव नहीं है।  अपने ट्वीट में अली शमख़ानी ने लिखा है कि पूरे तरीक़े से प्रतिबंधों के हटने की स्थिति में ईरान, आर्थिक दृष्टि से मज़बूत होगा।  उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के हटाने की पुष्टि ही किसी अच्छे समझौते का अनिवार्य भाग है।

अली शमख़ानी ने इससे पहले एक ट्वीट में लिखा था कि अमरीका की वर्तमान सरकार, ईरान के विरुद्ध ट्रम्प की अधिक्तम दबाव वाली नीति को आगे बढ़ाते हुए उन लक्ष्यों को झूठे वचनों के माध्यम से प्राप्त करने की कोशिश कर रही है जिनको वह ज़ोर-ज़बरदस्ती के माध्यम से हासिल नहीं कर सकी।  उन्होंने लिखा है कि जबतक अमरीका काल्पनिक दुनिया से बाहर नहीं आएगा उस समय तक वियना वार्ता में प्रगति का मार्ग प्रशस्त नहीं हो पाएगा।

उल्लेखनीय है कि ईरान के अधिकार इस बात को पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अमरीका केवल उसी स्थिति में जेसीपीओए में वापस आ सकता है जब उसकी ओर से ईरान पर लगाई जाने वाले सारे प्रतिबंध हटाए जाएं और साथ ही उनकी समाप्ति की व्यवहारिक रूप में पुष्टि भी हो सके।

ज्ञात रहे कि वियना में जारी वार्ता के संबन्ध में जो रिपोर्टें आ रही हैं वे बताती हैं कि वार्ताकार इस समय अमरीका के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।  अब आगे की बात उसी समय होगी जब वाशिग्टन, प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने का फैसला लेगा।

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