इस तरह से हुआ ईरानी दूतावास पर हमला, कौन है लिप्त?+ वीडियो
हालिया दिनों में यूरोप में ईरान के राजनयिक केन्द्रों और मुख्यालयों पर हमले तेज़ हो गये हैं, जिसके परिणामस्वरूप ईरानी सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई है और तेहरान में कुछ यूरोपीय देशों के राजदूतों को विदेशमंत्रालय में तलब किया गया है।
शुक्रवार को चाक़ू से लैस एक हमलावर ने कोपेनहेगन में इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूतावास में प्रवेश किया और चाक़ू लहराते हुए धमकी जिससे कर्मचारियों में भय का माहौल पैदा हो गया। हमलावर के हमले में स्थानीय कर्मचारियों में से एक घायल हो गया जबकि हमलावर ने ईरानी दूतावास की पार्किंग में खड़ी कारों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
डेनमार्क में ईरान के दूतावास पर हमले के अलावा हालिया दिनों में यूरोप में ईरान के राजनयिक केन्द्रों पर कई हमले हुए हैं जिनमें लंदन, पेरिस, ब्रसल्ज़ और स्टॉकहोम शामिल हैं। 25 सितम्बर को इंग्लैंड और फ्रांस में दंगाइयों ने ईरान के विरोध के बहाने लंदन और पेरिस में ईरान के राजनयिक केन्द्रों पर हमला करने की कोशिश की।
क्रांतिकारी विरोधी तत्वों का इरादा लंदन इस्लामिक सेंटर के सामने अव्यवस्था पैदा करना भी था, जिसपर पुलिस ने प्रतिरोध किया और स्थानीय मुसलमानों और नमाज़ियों ने दंगाईयों का डटकर मुक़ाबला किया।
यूरोप में ईरान के राजनयिक स्थानों पर ये हमले ऐसे समय किए गये कि कुछ ईरानी शहरों में अशांति थी और इसका मुख्य कारण यह है कि ईरान में मौजूद दंगाईयों का बाहर बैठे उनके स्वामी और एजेन्ट खुलकर समर्थन कर रहे थे।
यही नहीं यूरोप और विदेशों में बैठे एजेन्ट स्थानीय दंगाईयों को सार्वजनिक संपत्तियों पर हमले और उन्हें जलाने के लिए न केवल भड़काते हैं बल्कि विदेशों में रह रहे लोगों को ईरान के कूटनयिक स्थलों और हितों पर भी हमले का निमंत्रण दे रहे हैं और हालिया हमलों को इसी परिधि में देखा जा सकता है। ईरानी राजनयिक केन्द्रों पर हमलों में निश्चित रूप से कुछ पश्चिमी सरकारों का समर्थन भी हासिल है।
यूरोप में ईरानी राजनयिक केन्द्रों पर हालिया हिंसक हमलों का ज़िक्र करते हुए, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा कि इन हमलों और दंगाइयों के लिए पश्चिम के राजनीतिक समर्थन के बीच, संबंधों छिपाया नहीं जा सकता।
हालांकि ईरान में अशांति और असुरक्षा के लिए यूरोपीय अधिकारियों का समर्थन और राजनयिक स्थानों पर हमलों के मुद्दे पर बहुत कम ध्यान देना जिसका एक हालिया उदाहरण कोपेनहेगन में ईरानी दूतावास पर हमला है क्योंकि डेनिश पुलिस घटना स्थल पर देर से पहुंची जबकि ख़तरे की संभावना से उन्हें पहले ही अवगत करा दिया गया था। यूरोपीय सरकारों पर मेज़बान देश के रूप में, राजनयिक केन्द्रों और राजनयिकों की सुरक्षा का क़ानूनी दायित्व है।
डेनिश पुलिस के काम करने के तरीक़े से पता चलता है कि इस देश ने अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्व ठीक से पूरा नहीं किया है। डेनमार्क में ईरान की राजदूत "अफ़साना नादीपुर" ने इस बारे में कहा कि दुर्भाग्य से पिछली आधिकारिक चेतावनियों के बावजूद डेनिश पुलिस बहुत देरी से दूतावास पहुंची।
बहरहाल हालिया वर्षों के दौरान ईरान के ख़िलाफ़ अवैध अमरीकी प्रतिबंधों के साथ, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी सहित यूरोपीय देशों ने हमेशा ईरान पर दबाव को तेज़ करने की मांग की है। इस संबंध में ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यूरोप में ईरानी दूतावासों पर हालिया हमलों का ज़िक्र करते हुए ज़ोर दिया है कि राजनयिक स्थानों पर हमला यूरोप में ईरान के ख़िलाफ हिंसक और अवैध कार्यों का नवीनतम मुद्दा है। (AK)
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