सऊदी अरब और चीन के संयुक्त बयान पर ईरान की प्रतिक्रिया
चीन के राष्ट्रपति की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान उनके बयान पर ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय में राजनीतिक मामलों के सलाहकार ने ट्वीट किया है।
अपने ट्वीट में मुहम्मद जमशीदी ने लिखा है कि चीनी सहयोगियों को याद रखना चाहिए कि जिस समय सीरिया में आतंकवादी गुटों दाइश और अलक़ाएदा का सऊदी अरब और अमरीका की ओर से समर्थन किया जा रहा था उस समय क्षेत्र को स्थिर बनाए रखने के लिए ईरान ही था जिसने आतंकवादियों का डटकर मुक़ाबला किया था।
चीन के राष्ट्रपति शीजी पिंग की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान एक संयुक्त बयान जारी किया गया। इस संयुक्त बयान के एक भाग में दोनो पक्षों ने परमाणु वार्ता को पुनर्जीवित करने के बारे में पश्चिम के उल्लंघनों को अनदेखा करते हुए ईरान से मांग की है कि वह अन्तर्राष्ट्री परमाणु ऊर्जा एजेन्सी आईएईए के साथ सहयोग करे और एनपीटी के प्रति कटिबद्ध रहें। इसी संयुक्त बयान के एक दूसरे भाग में ईरान से पड़ोसी देशों के साथ सही ढंग से रहने और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की मांग की गई है।
बात यहीं पर समाप्त नहीं होती बल्कि इस संयुक्त बयान के जारी होने के बाद चीन के राष्ट्रपति ने फ़ार्स की खाड़ी की सहयोग परिषद के देशों के प्रमुखों के साथ संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किये। इसमें ईरान की आलोचना की गई थी। इस बयान में कहा गया था कि फ़ार्स की खाड़ी के पश्चिमी देशों के साथ ईरान के संबन्ध राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र और अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार होने चाहिए। यह दावे एसी हालत में किये जा रहे हैं कि जब इनके विपरीत वास्तविकताएं पूरी तरह से स्पष्ट हैं।
पहलीं बात तो यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी ने अपनी कई रिपोर्टों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण होने की पुष्टि की है। इसके अतिरिक्त उसका यह भी कहना है कि ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम कभी भी सैन्य लक्ष्यों की ओर नहीं मुड़ा है। इस मुद्दे पर अभी हाल ही में आईएईए के महासचिव ने स्पष्ट रूप में अपनी मोहर लगाई है। यह बातें बताती है कि ईरान कभी भी अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को सैन्य लक्ष्यों की ओर मोड़ने का इच्छुक नहीं रहा है।
इसके अतिरिक्त चीन ने गुट 4 धन 1 के सदस्य होने के नाते, इस संयुक्त बयान से पहले हमेशा ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बताया और उसका समर्थन भी किया है। सऊदी अरब और चीन के संयुक्त बयान में ईरान पर पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और एक प्रकार से पड़ोसी देशों के साथ अच्छा व्यवहार न करने की भी बात कही गई है। यह बात भी निराधार है क्योंकि जब पश्चिम और अरब सरकारों द्वारा आतंकी गुटों का समर्थन करके सीरिया में अशांति उत्पन्न की गई तो ईरान ने न केवल सीरिया में बल्कि इराक़ में भी आतंकियों से लोहा लिया।
यह सारी बातें बताती हैं कि परमाणु मामले और पड़ोसी देशों के साथ व्यवहार के संदर्भ में इस्लामी गणतंत्र ईरान ने तार्किक आधार पर काम किया। इससे यह पता चलता है कि उसके विरुद्ध लगाए जाने वाले आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।
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