एक सरकार बनाने में जनता की भूमिका के साथ-साथ धार्मिक और ईमानी सिद्धांतों का गहरा असर, इस्लामी गणराज्य की पहचान हैः सर्वोच्च नेता
(last modified Mon, 02 Jan 2023 13:59:02 GMT )
Jan ०२, २०२३ १९:२९ Asia/Kolkata
  • एक सरकार बनाने में जनता की भूमिका के साथ-साथ धार्मिक और ईमानी सिद्धांतों का गहरा असर, इस्लामी गणराज्य की पहचान हैः सर्वोच्च नेता

‏यूरोपीय देशों में ईरानी स्टूडेंट्स की इस्लामी अंजुमनों की युनियन के सदस्यों ने सोमवार को दोपहर के समय ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई से मुलाक़ात की।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई ने यूरोपीय देशों में इस्लामी अंजुमनों को इस्लामी गणराज्य की पूंजी बताया और कहा कि इनका मिशन बिल्कुल अलग अंदाज़ का है। उन्होंने बल देकर कहा कि दृढ़ता, अपने आसपास के माहौल पर असर डालना और इस्लामी गणतंत्र की नई बात को बयान करना, इस्लामी अंजुमनों के ज़रूरी कामों में शामिल है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में यूरोप में स्टूडेंट्स की इस्लामी अंजुमनों के संस्थापकों में से एक मरहूम हुज्जतुल इस्लाम डॉक्टर एज़ेई को श्रद्धांजलि पेश करते हुए, नई व बदलाव लाने वाली सोच के नौजवान स्टूडेंट्स की गतिविधियों को अहम बताया। उन्होंने कहा कि इस्लामी अंजुमनों के गठन के दो लक्ष्य थेः एक ख़ुद मेंबर्स की वैचारिक बुनियादों को मज़बूत करना और दूसरे आस पास के माहौल पर असर डालना लेकिन विदेश में इस्लामी अंजुमनों का एक और मिशन है और वह इस्लामी गणराज्य के बुनियादी व असली विचारों का परिचय कराना है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने इस्लाम और लोकतंत्र को एक दूसरे से जोड़ने सहित इस्लामी गणराज्य के सिद्धांतों की व्याख्या को बहुत अहम बताया और कहा कि इस्लामी जुम्हूरिया की नई बात यही है कि एक हुकूमत बनाने में अवाम की प्रभावी भूमिका होने के साथ साथ धार्मिक व ईमानी उसूल भी प्रभावी हैं। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने उसूलों और बुनियादी शिक्षाओं पर अमल के साथ ही अपटूडेट रहने को आज के हालात में एक ज़रूरत क़रार दिया। उन्होंने कहा कि न्याय जैसे कुछ उसूल और शिक्षाएं हमेशा से हैं और अटल हैं जो हज़ारों साल पहले से हैं और यह किसी तरह से पुरानी नहीं होतीं लेकिन इंसाफ़ लागू करने के तरीक़े में बदलाव की संभावना पाई जाती है। उन्होंने इल्म और साइंस के मैदान में तरक़्क़ी को हालिया बरसों में देश में प्रचलित डिस्कोर्स बताया और यूरोप में स्टूडेंट्स की इस्लामी अंजुमनों की हालिया कॉन्फ़्रेंस में ज्ञान व साइंस की सभाओं के आयोजन को सराहा और कहा कि ज्ञान व साइंसी तरक़्क़ी और ज्ञान की सरहदों को पार करते रहना चाहिए और यह मैसेज नहीं जाना चाहिए कि धार्मिक व क्रांतिकारी पहलुओं पर ध्यान, ज्ञान व साइंसी तरक़्क़ी की ओर से लापरवाही का कारण है। इस मुलाक़ात के आरंभ में यूरोप में स्टूडेंट्स की इस्लामी अंजुमनों में इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वाएज़ी ने इन अंजुमनों की गतिविधियों और प्रोग्रामों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की। (RZ)

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