ईरान की सफल विदेश नीति के परिणाम आने लगे
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमख़ानी चीन और संयुक्त अरब अमीरात की हाल की यात्राओं के बाद, रविवार को इराक़ की यात्रा पर बग़दाद पहुंचे हैं।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के प्रतिनिधि और ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शामख़ानी ने हाल ही में बीजिंग का दौरा किया था। बीजिंग में चीन की मध्यस्थता से ईरान और सऊदी अरब ने राजनयिक संबंधों की बहाली का समझौता किया था, जिसके बाद शामख़ानी ने यूएई की यात्रा की थी। यूएई के अधिकारियों के साथ मुलाक़ात में उन्होंने परस्पर संबंधों और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचार विमर्श किया था।
अब शामख़ानी की इराक़ यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय घटनाक्रमों के संदर्भ में काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ईरान और इराक़ अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति वाले दो देश हैं, जिनके बीच सहयोग और सहकारिता का क्षेत्रीय राजनीतिक और सुरक्षा समीकरणों पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।
इराक़, ईरान का दूसरा व्यापारिक भागीदार भी है। यही वजह है कि इराक़ के साथ 10 बिलियन डॉलर से अधिक के व्यापार के लिए दोनों देशों को सुरक्षा चुनौतियों को हल करने के साथ ही आर्थिक समझौतों और बैंकिंग सहयोग के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने की ज़रूरत है। इसी उद्देश्य के मद्देनज़र, ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव की इराक़ यात्रा के दौरान, दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा सीमा सुरक्षा से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
शामख़ानी की बग़दाद यात्रा के बारे में एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु ईरान की पड़ोस कूटनीति और क्षेत्र में वर्तमान प्रक्रिया और भविष्य के विकास पर इसके प्रभावों का मुद्दा है। हालिया दिनों में ईरान की क्षेत्रीय कूटनीति की उपलब्धियों में से एक तेहरान और रियाज़ के बीच कूटनीतिक रिश्तों की बहाली का समझौता है। इस समझौते का क्षेत्र के देशों ने स्वागत किया और यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात ने कि जिसके लंबे समय से ईरान के साथ मतभेद रहे हैं, इस्लामी गणतंत्र के साथ सभी तरह की ग़लतफ़हमियों को दूर करने और संबंधों के विस्तार पर बल दिया है।
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा के सचिव के साथ मुलाक़ात में उनके अमीराती समकक्ष शेख़ तहनून बिन ज़ायद ने इस तेहरान और रियाज़ के बीच हुए समझौते के बारे में कहा थाः यह समझौता क्षेत्रीय स्तर पर संबंधों के विस्तार में रचनात्मक भूमिका निभाएगा। क्षेत्र में शांति, स्थिरता और स्थानीय सुरक्षा अबू-धाबी और तेहरान की प्राथमिकताओं में से हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की मूल विदेश नीति अपने पड़ोसियों के साथ व्यापक, निरंतर और रचनात्मक सहयोग पर आधारित रही है, क्योंकि इसके बिना, इस क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों पर क़ाबू पाना संभव नहीं है। इस संबंध में, पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक और आर्थिक संपर्क बढ़ाकर, ईरान के अधिकारी तनाव को कम करने और मतभेदों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो शांति और सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक विकास के मार्ग में गंभीर बाधा माने जाते हैं।