प्रतिबंध लगाकर भी अमरीका कुछ हासिल नहीं कर पाया
(last modified Sun, 16 Apr 2023 08:30:58 GMT )
Apr १६, २०२३ १४:०० Asia/Kolkata

वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने के बावजूद अमरीका अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 4 अप्रैल 2023 को देश के अधिकारियों के साथ भेंट में कहा था कि प्रतिबंधों के माध्यम से अमरीका, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने दृष्टिगत कार्यक्रम के अनुरूप ढालना चाहता था किंतु इसमें वह सफल नहीं हो पाया। 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह अमरीका की कमज़ोरी की निशानी है।  उन्होंने कहा कि इस बारे में उसने बहुत कोशिश की, खूब दुषप्रचार किया, मीडिया को अपने हिसाब से प्रयोग किया और प्रतिबंध भी लगाए किंतु वह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया।  पिछले 40 वर्षों से ईरान, अमरीका के एकपक्षीय प्रतिबंधों का मुक़ाबला कर रहा है।  डोनाल्ड ट्रम्प के काल में यह प्रतिबंध अधिक कठोर कर दिये गए।

ट्रम्प के काल में अमरीका, एकपक्षीय रूप से परमाणु समझौते से निकल गया और उसने ईरान के विरुद्ध अत्यधिक दबाव की नीति अपनाई।  ईरान से अपनी बातें मनवाने के लिए उसने तेहरान के विरुद्ध  कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए किंतु वह अपनी बात मनवा नहीं पाया।  ट्रम्प प्रशासन ईरान के परमाणु कार्यक्रम, मिसाइल कार्यक्रम और उसकी क्षेत्रीय नीतियों में अपने दृष्टिगत बदलाव का इच्छुक था।  यहां पर ही उसको ईरान की नकारात्मक प्रक्रिया का सामना करना पड़ा। 

इस संदर्भ में अमरीका के एक सीनेटर क्रिस मर्फी कहते हैं कि ईरान के विरुद्ध ट्रम्प की अत्यधिक दबाव और प्रतिबंधों की नीति से वाशिग्टन को कुछ भी नहीं मिल पाया।  उन्होंने कहा कि ट्रम्प के परमाणु समझौते से निकल जाने से ईरान अधिक शक्तिशाली हो गया।  ईरान को लेकर संयुक्त राज्य अमरीका का एक मामला यह भी है कि वह आए दिन ईरान की जनता के प्रति अपनी सहानुभूति के दावे करता रहता है जबकि उसके दावों में खुला विरोधाभास पाया जाता है। 

कोरोना काल में जब इस महामारी से निबटने के लिए ईरान को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को बहुत ज़रूरत थी उस समय अमरीका ने प्रतिबंधों की आड़ में दवाओं को ईरानी जनता के लिए प्रतिबंधित कर रखा था।  मानवाधिकारों के लंबे-लंबे दावों के बावजूद अमरीका, ईरान पर अधिक से अधिक दबाव बनाने के लिए हर हथकण्डे का प्रयोग करता रहता है।

हालांकि यह प्रतिबंध, न केवल यह की सफल नहीं हो पाए बल्कि इस समय ईरान, अमरीका के वर्चस्व के विरोध में चट्टान की तरह खड़ा है।  वर्तमान समय में ईरान आंतरिक संभावनाओं का प्रयोग करते हुए आत्मनिर्भर होता जा रहा है।  एक समय जिन चीज़ों पर वह पश्चिम पर निर्भर था अब वह स्वयं ही उनका उत्पादन देश के भीतर कर रहा है।  इसी के साथ उसने प्रतिबंधों की धार को भी बहुत कुंद कर दिया है।

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