परमाणु वार्ता के संबंध में सितंबर दस्तावेज़ क्या है?
(last modified Tue, 05 Sep 2023 15:08:18 GMT )
Sep ०५, २०२३ २०:३८ Asia/Kolkata
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पिछले कुछ दिनों के दौरान, परमाणु वार्ता के संबंध में सितंबर दस्तावेज़, इसकी प्रकृति और कार्यान्वयन की आवश्यकता का मुद्दा मीडिया में छाया रहा।

इस शब्द का प्रयोग पहली बार ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने ईरान और 4+1 समूह के बीच नवीनतम समझौते के संदर्भ में किया। अमीर अब्दुल्लाहियान ने रविवार को इस संदर्भ में कहाः जेसीपीओए के बारे में सामने वाले पक्ष के साथ हमारी बातचीत काफ़ी हद तक पेपर आ गई है, हमारे और सामने वाले पक्ष के बीच सितंबर दस्तावेज़ के रूप में, दस्तावेज़ लगभग तैयार है। इसके बावजूद, कुछ घटनाक्रमों ने हमारे समझौते को प्रभावित किया है और कुछ दिन के लिए टाल दिया है। इन घटनाक्रमों में से एक घटनाक्रम पिछले साल देश में हुए दंगे थे। इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध भी एक कारक था। सामने वाले पक्ष ने इन घटनाक्रमों को हम पर शर्तें थोपने के लिए इस्तेमाल करना चाहा, लेकिन हमने वास्तव में लाल रेखा को पार नहीं किया।

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सितबंर दस्तावेज़ के बारे में पूछे जाने पर कहाः सितंबर दस्तावेज़ को एक नया दस्तावेज़ नहीं माना जाता है। दर असल, यह ईरान और 4+1 गुट के बीच एक वार्ता की ही प्रक्रिया थी। जेसीपीओए वार्ता का अंतिम मसौदा सितंबर 2022 में एक निष्कर्ष पर पहुंचने और परमाणु समझौते में सभी पक्षों की वापसी के लिए तैयार किया गया था।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने उस समझौते का ज़िक्र किया है, जो सितंबर 2022 में ईरान और 4+1 समूह के बीच हुआ था और इसके कार्यान्वयन को लेकर काफ़ी आशाएं थी। लेकिन ईरान में पिछले साल की अशांति के मद्देनज़र, वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने इसे एक अद्वितीय अवसर के रूप में देखा। इस बारे में उनका मानना था कि ईरान में यह दंगे, इस्लामी गणतंत्र के ख़िलाफ़ निर्णायक साबित हो सकते हैं या उसे काफ़ी हद तक कमज़ोर सकते हैं। इसीलिए, वियना वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए कि जिसे ईरानी विदेश मंत्री ने सितंबर दस्तावेज़ का नाम दिया है, कोई प्रयास नहीं किया गया। इसके बजाय वाशिंगटन और ब्रसेल्स ने अपना सारा ध्यान ईरान में दंगों और दंगाइयों का समर्थन करने में लगा दिया और हर संभव तरीक़े से अशांति और दंगों की आग को भड़काने की कोशिश की।

अब एक बार फिर ईरान के विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने परमाणु वार्ता और जेसीपीओए के संबंध में तेहरान की सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि हम कूटनीति और बातचीत के रास्ते से कभी नहीं भटके, उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जेसीपीओए आज भी हमारी टेबल पर मौजूद है और हम उस बिंदु पर नहीं पहुंचे हैं, जहां हम यह कह सकें कि जेसीपीओए हमारी बातचीत के एजेंडे में नहीं है, या हमने उसे अपने एजेंडे से बाहर कर दिया है।

ईरान की सैद्धांतिक स्थिति, जिसे उसने बार-बार वियना वार्ता में पश्चिमी पक्षों और अप्रत्यक्ष रूप से अमरीका के लिए स्पष्ट कर दिया है, यह है कि तेहरान जेसीपीओए को फिर से लागू करने और प्रतिबंधों को हटाए जाने के बारे में बातचीत के अलावा किसी अन्य तरीक़े को स्वीकार नहीं करेगा। इसके अलावा, उसे वाशिंगटन के दोबारा जेसीपीओए से बाहर नहीं निकलने की गारंटी चाहिए।

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