ग़ज़्ज़ा में जातीय सफाया अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अक्षमता हैः रईसी
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ईरान के राष्ट्रपति ने ग़ज़्ज़ा में जारी जातीय सफाए को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अक्षमता का संकेत बताया है।
(last modified 2024-02-08T15:08:58+00:00 )
Feb ०८, २०२४ २०:३८ Asia/Kolkata
  • ग़ज़्ज़ा में जातीय सफाया अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अक्षमता हैः रईसी

ईरान के राष्ट्रपति ने ग़ज़्ज़ा में जारी जातीय सफाए को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अक्षमता का संकेत बताया है।

ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनियों के हमलों में अबतक 27000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शीहद हो चुके हैं।  इन ज़ायोनी हमलों की व्यापक स्तर पर भर्त्सना के बावजूद यह अवैध शासन अब भी इन हमलों को जारी रखे हुए है।अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी इसको रुकवाने में लगभग अक्षम दिखाई दे रहे हैं। 

इसी संदर्भ में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने अपने एक संबोधन में कहा कि ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनियों के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार से पश्चिमी शक्तियों के मानवाधिकारों के समर्थन के सारे ही दावे धूमिक हो कर रहे गए हैं।

सैयद इब्राहीम रईसी के अनुसार मुझको यक़ीन है कि अब ग़ज़्ज़ा के शहीदों का ख़ून ही अवैध ज़ायोनी शासन का अंत करते हुए वर्तमान अन्यायपूर्ण व्यवस्था को धराशाई कर देगा। 

ईरान के राष्ट्रपति ने अपने भाषण के एक भाग में कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) की बेसत, एक प्रकार का मार्गदर्शन है।  उन्होंने स्वतंत्रता प्रभात और पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की घोषणा के आयोजनों के निकट होने के संदर्भ में कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की ओर से ईरानी जनता से निर्धन्ता, भ्रष्टाचार और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष का आह्वान और लोगों के द्वारा इसका स्वीकार किया जाना भी बेसत के संदेश का ही एक हिस्सा है।