Apr ०९, २०२४ १०:५५ Asia/Kolkata
  • शहीद अविनी, एक ईरानी विचारक, जिनके बारे में जानना चाहिए/ जीवन और विचारों पर एक नज़र

सैयद मोर्तेज़ा अविनी एक ईरानी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर, फ़ोटोग्राफ़र, पत्रकार, लेखक और "इस्लामी सिनेमा" के सिद्धांतकार थे, जिनके जीवन और विचारों पर इस लेख में चर्चा की गई है।

सैयद मोर्तेज़ा अविनी का जन्म ईरान के रय शहर में हुआ था। प्रारंभिक और हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने वास्तुकला के छात्र के रूप में तेहरान विश्वविद्यालय के आर्ट डिपार्टमेंट में प्रवेश लिया।

इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद उन्होंने वास्तुकला को त्याग दिया और क्रांति की आवश्यकता के अनुसार फ़िल्मों का निर्माण शुरू कर दिया। उन्होंने ईरानी कैलेंडर के सन् 1362 के अंत में अपनी प्रेस गतिविधियां शुरू कर दीं और सद्दाम द्वारा ईरान के ख़िलाफ़ छेड़े गए युद्ध के मोर्चों पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों का निर्माण किया।

इस दौरान, उन्होंने सिनेमा, कला, वैश्विक संस्कृति और विभिन्न मुद्दों के बारे में विचार करना शुरू कर दिया। अविनी के शोध, वाद-विवाद और लेखन का संग्रह मासिक पत्रिका सूरा में प्रकाशित हुआ और बाद में आईनए जादू नामक पुस्तक में एकत्र किया गया, जो उनके निबंधों और फ़िल्म समीक्षाओं का पहला खंड है।

सैयद मोर्तेज़ा अविनी 20 फ़रवरदीन सन् 1372 को फ़क्के में रिवायते फ़तह नामक टीवी डॉक्यूमेंट्री सीरियल बनाते समय एक बारूदी सुरंग के धमाके से शहीद हो गए।

आलोचनात्मक दृष्टि से उन्होंने दर्शन, कला, सिनेमा आदि के क्षेत्र में प्रसिद्ध रचनाएं की हैं और उनकी कृतियों में तीन प्रसिद्ध पुस्तकें हैः

"फ़तह ख़ून" पुस्तक में पैग़म्बरे इस्लाम के स्वतंत्रता-प्रेमी और न्याय-प्रेमी नवासे इमाम हुसैन (अ) की शहादत का विश्लेषण किया गया है।

पश्चिम की मूलभूत चुनौतियों के विश्लेषण में "तौसे व मबानी तमद्दुने ग़र्ब" पुस्तक लिखी और मीडिया विश्लेषण में "आईनए जादू" पुस्तक।

यहां हम कला और पश्चिम के बारे में उनके कुछ विश्लेषणों पर एक नज़र डालते हैं, जो सभी 1990 से पहले के वर्षों के हैं।

शहीद अविनी के विचार में कला

कला की भाषा

कला की भाषा का वर्णन करते हुए शाहिद अविनी लिखते हैं:

कलाकार गुप्त ख़ज़ानों का राज़दार है और उसकी भाषा रूपक की भाषा है। इसलिए, व्यक्ति को पारलौकिक सत्य के उद्भव के रहस्य और उसकी उत्कृष्टता को जानना चाहिए। यह खोज आवश्यक रूप से आत्मज्ञान के साथ हासिल नहीं होती है, बल्कि, कलाकार की आत्मा को गुप्त रहस्यों और सच्चाइयों के रहस्योद्घाटन का केन्द्र बनना चाहिए।

कला, सोच और रहस्यवाद

शाहिद अविनी कला और रहस्यवाद और सोच के बीच संबंध बताते हैं:

विषय और सामग्री के संदर्भ में, कला ज्ञान और रहस्यवाद के समान है, और यह केवल अभिव्यक्ति के तरीक़े में उनसे भिन्न है। कला का मुख्य स्रोत प्रेम और रहस्यवाद है।

कलाकार

वे कहते हैं:

कलाकार वह व्यक्ति होता है, जो सत्य के प्रति भावुक होने के अलावा, सर्वशक्तिमान ईश्वर से उसे व्यक्त करने की शक्ति भी प्राप्त करता है।

पश्चिमी कला

शहीद सैयद मोर्तेज़ा अविनी, आधुनिक पश्चिमी कला की विशेषताओं का परिचय देते हुए लिखते हैं:

पश्चिमी कला स्वयं का प्रतिबिंब है, न कि सत्य का प्रतिबिंब। पश्चिमी कला आज के मनुष्य के स्वार्थ की अभिव्यक्ति है। वे एक अन्य स्थान पर लिखते हैं: पश्चिमी सभ्यता सांसारिक स्वर्ग की तलाश में है। पश्चिम में कला का ऐतिहासिक पाठ्यक्रम इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ाया गया है।

कला और प्रतिबद्धता

उनके अनुसारः कलाकार को स्वार्थ से मुक्त होना चाहिए, लेकिन साथ ही, कला एक समान सामाजिक दायित्व भी है; क्योंकि मानव अस्तित्व प्रतिबद्धता के समान है, और कला, मनुष्य की अभिव्यक्ति के रूप में, प्रतिबद्धता से मुक्त नहीं हो सकती है।

एक कलाकार को दर्द सहना चाहिए, और यह दर्द न केवल कला की सुंदरता और पवित्रता का स्रोत है, बल्कि मानवता का मानदंड भी है। बिना दर्द वाला व्यक्ति कलाकार नहीं हो सकता, न ही वह पूर्ण इंसान हो सकता है।

शहीद अविनी की नज़र से पश्चिम

सैयद मोर्तेज़ा और पश्चिमी अध्ययन

शहीद अविनी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं की सटीकता से यह सर्वविदित है कि उन्हें इस्लामी मुद्दों और शिक्षाओं का पूर्ण और उचित ज्ञान था, और साहित्य के क्षेत्र में वर्षों के अध्ययन और शोध ने उन्हें एक सक्षम लेखक बना दिया था, जिनका क़लम और परिपक्व गद्य, इसका सबसे अच्छा सुबूत है। इसके अलावा, सैयद मोर्तेज़ा को रहस्यवाद और दर्शनशास्त्र में बहुत महारत हासिल थी और वह दुनिया के दर्शनशास्त्रों से पूरी तरह परिचित थे। तुलनात्मक तरीक़े से, अविनी ने इस्लामी विचारों का अध्ययन किया और उनकी तुलना अन्य दृष्टिकोणों से की। पश्चिमी दॉष्टिकोणों के अध्ययनों में उन्होंने उसकी मूल बातें समझाते हुए कमज़ोर बिंदुओं को उजागर किया और इससे निपटने के तरीक़े और विभिन्न क्षेत्रों में इसके नकारात्मक परिणामों का उल्लेख किया।

साम्राज्यवाद के वैश्विक विकास के कारण

शहीद अविनी, साम्राज्यवाद के वैश्विक प्रभुत्व के कारणों की व्याख्या करते हुए, कुछ बातों की ओर इशारा करते हुए कहते हैः

जिन कारकों ने अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व में मदद की है, उनमें से तीन कारक महत्वपूर्ण हैं: आधुनिक प्रौद्योगिकी को साम्राज्यवाद के वैश्विक विकास में सबसे बुनियादी कारक माना जाना चाहिए... दूसरा कारक यह है कि लोग अक्सर कमज़ोर इच्छा शक्ति रखते हैं और आदतों के ग़ुलाम होते हैं और दिखावे से प्रभावित होते हैं। इन चीज़ों ने उन्हें स्वेच्छा से इस वैश्विक व्यवस्था के गुर्गों के प्रभाव में कर दिया है। तीसरा कारक, जो किसी तरह दूसरे कारक के अंतर्गत आता है, वह है भय, विशेषकर मृत्यु का भय। जो लोग कमज़ोर हैं, वे अमेरिका की ताक़त से ज्यादा डरते हैं, लेकिन इमाम ख़ुमैनी जैसे धर्मनिष्ठ लोग, जिन्होंने सभी जुड़ावों के ख़त्म कर दिया और अपने अस्तित्व में डर को ख़त्म कर दिया, वे कहते हैः अमेरिका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

पश्चिमी स्वतंत्रता

शहीद अविनी कहते हैं: पश्चिम में वे जिस स्वतंत्रता का दावा करते हैं, वह आदतों और निर्भरता की दासता है, और यह ग़ुलामी के समान है। मानवता आज स्वतंत्रता से दूर भाग रही है और उसने इस फ़रार को ही स्वतंत्रता का नाम दे दिया है। इस अवधारणा को स्वीकार करने का व्यावहारिक परिणाम यह है कि मनुष्य सिर्फ़ अपनी इच्छाओं का पालन करता है; इस बात से अनजान कि ऐसा करके वह ख़ुद को अपने हैवानी अस्तित्व की सीमा तक सीमित कर लेता है।

पश्चिमी सभ्यता में नैतिकता

शाहिद अविनी पश्चिमी दुनिया में नैतिकता की स्थिति के बारे में लिखते हैं: नई दुनिया में नैतिकता एक तकनीकी शैक्षिक प्रणाली के अधीन है, जो आत्म-जागरूकता और व्यक्तित्व की परवाह किए बिना सभी को वैश्विक सरकार के अधीन लाती है।

पश्चिमी लोकतंत्र

शहीद अविनी लोकतंत्र और उसकी सच्चाई का ज़िक्र करते हुए कहते हैं:

पश्चिमी सभ्यता के मूल में मौजूद और अब उजागर हुए विरोधाभासों में से एक लोकतंत्र है। लोकतंत्र का अर्थ है, लोगों की सरकार, लेकिन व्यवहार में, लोकतांत्रिक सरकार के सर्वोत्तम उदाहरणों में भी, लोगों के अधिकार एक मुखौटा है कि जिसके पीछे अमीर छिपते हैं। लोकतंत्र का विचार, जिसका अर्थ है लोगों की सरकार, बहुत ही भ्रामक और आकर्षक है, लेकिन व्यवहार में, मुट्ठी भर लोग पाखंड और धोखे का सहारा लेकर हमेशा सरकार पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं... पश्चिमी लोकतंत्र सबसे जटिल और उन्नत प्रकार की अधिनायकवादी व्यवस्था है।

पश्चिमी विकास

अविनी के अनुसार: पश्चिम में एक विकसित समाज वह समाज है, जिसमें सब कुछ भौतिक धुरी के इर्द-गिर्द परिभाषित होता है और धरती पर उपलब्ध सुखों से जितना संभव हो उतना आनंद लेना होता है।

पश्चिमी प्रोपैगंडा

पश्चिम में प्रचार की सच्चाई और पद्धति का उल्लेख करते हुए, शाहिद अविनी लिखते हैं: आज की दुनिया में विज्ञापनों ने प्रचार की ले ली है और यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर गिर गया है। हालांकि उपदेशों का उद्देश्य वही कर्तव्य है, जो ईश्वर के पैग़म्बरों और संतों को सौंपा गया था... और यह दर्शकों की जागरूकता और उनके मानवीय विवेक पर आधारित है। हिटलर का एक वाक्य है, जो पश्चिम की प्रचार सामग्री का सबसे अच्छा वर्णन करता है। उसने कहा थाः अगर आप लोगों से कुछ करवाना चाहते हैं, तो अपने प्रचार में उनकी निम्नतम प्रवृत्ति को लक्षित करें। एक मोज़ा बेचने के लिए ख़रीदार की यौन प्रवृत्ति को उत्तेजित करें। यह वाक्य पश्चिमी प्रचार का आधार है।

पश्चिम के साथ बौद्धिक जिहाद की आशंका

शहीद अविनी ने पश्चिम के साथ संघर्ष के भविष्य का उल्लेख करते हुए लिखा थाः

भविष्य में हमारे और पश्चिम के बीच चौतरफ़ा संघर्ष होगा। इस्लामी क्रांति की सफलता को अभी एक दशक से ज़्यादा नहीं हुआ है और इसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है। यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं है, और सैन्य संघर्ष वास्तव में उस सांस्कृतिक संघर्ष की अभिव्यक्ति है, जो हमारे बीच बौद्धिक और दार्शनिक संघर्ष जारी है। सैन्य संघर्ष तो इस संघर्ष की सिर्फ़ एक झलक है, हालांकि इसके इतर बहुत बड़ा युद्ध चल रहा है, जिसकी व्याख्या मैं बौद्धिक जिहाद के रूप में करता हूं। इस संघर्ष में खड़े होने के लिए आवश्यक है कि हम पश्चिम की प्रकृति को जानें और पश्चिमी सभ्यता के कार्यों और उपकरणों का उनकी जड़ों से संबंध खोजें और यह केवल दर्शन के माध्यम से ही संभव है, क्योंकि पश्चिम और उससे जुड़ी सभ्यता से ही दर्शन का जन्म हुआ है।

पश्चिमी सभ्यता के पतन की भविष्यवाणी

शहीद अविनी इस बारे में कहते हैं: अगर पुनर्जागरण मानव का ध्यान आकाश से पृथ्वी की ओर लौटाता है, तो मानव आत्मा का यह विकास एक बार फिर मानव को आकाश की ओर निर्देशित करेगा। पश्चिम अपने ऐतिहासिक काल से गुज़र चुका है और अब क्षय और पतन का सामना कर रहा है। अब मनुष्य ने एक बार फिर पृथ्वी और अपनी आत्मा से विमुख होकर अर्थ और स्वर्ग की दुनिया पर ध्यान दिया है, और इसके लिए एक और क्रांति और परिवर्तन की आवश्यकता है। मनुष्य का फिर से जन्म हुआ है और एक नया युग शुरू हो गया है, और पृथ्वी दुनिया के अंत से पहले इतिहास के अंतिम चरण में प्रवेश कर चुकी है।

इस्लामी क्रांति और पश्चिमी विश्व व्यवस्था

विश्व व्यवस्था का सत्य समझाते हुए शहीद अविनि लिखते हैं:

विश्व प्रभुत्व की यह प्रणाली, आर्थिक दृष्टिकोण से, एक वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से जुड़ी है, जिसका केन्द्र वॉल स्ट्रीट है, जो दुनिया के आर्थिक विकास को नियंत्रित करती है, और डॉलर सभी करंसियों का मानक है। राजनीतिक दृष्टि से विश्व प्रभुत्व की यह व्यवस्था अमेरिकी शासन वाली एकल व्यवस्था है। यह विश्व प्रभुत्व तंत्र अपनी आध्यात्मिक और कामुक प्रवृत्तियों के माध्यम से मानव जाति को धोखा देता है।

उसके बाद, शहीद अविनी इस्लामी क्रांति का परिचय देते हुए लिखते हैः इस्लामी क्रांति सदियों की गिरावट के बाद मानव जाति का ऐतिहासिक पुनरुत्थान है। यह क्रांति एक ऐतिहासिक पश्चाताप है। इसलिए, इसके लक्ष्य कभी भी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नहीं हो सकते, यह एक सांस्कृतिक क्रांति है। यह क्रांति उस सोच से उत्पन्न होती है जो तर्कवाद पर नहीं, बल्कि वह्य या ईश्वरीय संदेश पर आधारित है। msm

 

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