इस्राईल तू हार गया! इस्राईल के मनोवैज्ञानिक युद्ध के मामले में ईरान की बुद्दिमानी पर तुर्किये के टीकाकार की रोचक प्रतिक्रया
पार्सटुडेः पश्चिमी एशिया के बारे में तुर्किये के एक समीक्षक ने हाथ से बुने एक सुन्दर ईरानी क़ालीन की फोटो पोस्ट करके उसके माध्यम से उन्होंने ईरान के मिसाइल हमले के बाद ज़ायोनियों के मनोवैज्ञानिक युद्ध के संदर्भ में ईरानियों की सूझबूझ तथा स्ट्रैटेजिक धैर्य की सरहाना की है।
दमिश्क़ में ईरान के काउन्सलेट पर ज़ायोनियों के हालिया हमले की प्रतिक्रया पर ईरान की ओर से 'सच्चा वादा' नामक अभियान के बाद अवैध ज़ायोनी शासन ने ईरान के वरुद्ध एक मनोवैज्ञानिक युद्ध आरंभ कर रखा है जिसमें संचार माध्यमों, चैनलों, सोशल नेटवर्क और साइबर स्पेस को भी प्रयोग किया जा रहा है।
इसी संदर्भ में सीरियन मूल के तुर्किये के एक टीकाकार ने जो, तुर्किये तथा मध्यपूर्व के मामलों पर समीक्षाए देते रहते हैं, इंस्टाग्राम पर एक संदेश पोस्ट करके ईरानी हितों पर ज़ायोनियों के हमले की धमकी पर प्रतिक्रया दी है।
हसनी महल्ली ने ईरान के 'सच्चा वादा' नामक अभियान को अरब जगत और फ़िलिस्तीनियों की गरिमा या प्रेस्टिज के फिर से ज़िंदा हो जाने का कारण बताया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर पोस्ट की है जो ईरान के हाथ से बुने गए एक बहुत ही सुन्दर क़ालीन की है। उन्होंने ईरान के हमले कार्यवाही को खोखले ज़ायोनी शासन के विरुद्ध तेहरान का स्ट्रैटेजिक धैर्य बताया है।
हसनी महल्ली ने ईरानी कालीन का चित्र पोस्ट करते हुए ईरान के अति प्राचीन इतिहास और उसके वैभव का उल्लेख किया है। इसी के साथ उन्होंने इस्राईल के खोखले इतिहास का खुलकर मज़ाक़ उड़ाया है।
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किये गए अपने लेख में वे कहते हैं कि अवैध ज़ायोनी शासन का जन्म 1948 को हुआ है। इस हिसाब से अगर देखा जाए तो ऐतिहासिक दृष्टि से इस शासन की प्राचीनता शून्य है। ऐसे में हज़ारों साल की संस्कृतिक एवं सभ्यता के स्वामी देश ईरान को चैलेंज करना बिल्कुल ही ग़लत है।
मध्यपूर्व एवं तुर्किये के मामलों के जानकार ने अपने एक संबोधन में कहा था कि इस्लामी और अरब देशों में केवल ईरान ही वह एकमात्र देश है जो, फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन करने में अवैध ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में दृढ़ता के साथ पूरी निष्ठा से खड़ा हुआ है।
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