अगर रईसी न होते तो आतंकवादी तेहरान में ख़ून की होली खेलते
राष्ट्रपति रईसी की शहादत पर आतंकवादियों के जश्न मनाने का एक कारण, उनके द्वारा एमकेओ के आतंकवादियों को कड़ी सज़ा देना है।
स्वर्गीय राष्ट्रपति रईसी और उनके साथियों की हेलिकॉप्टर में मौत से ईरानी राष्ट्र ग़म में डूब गया, जबकि आतंकवादियों और ईरान के दुशमनों ने इस पर जश्न मनाया।
राष्ट्रपति रईसी उस ज़माने में जज थे, जिन्होंने आतंकवादियों और देशद्रोहियों को सज़ा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से वह हमेशा दुशमनों और आतंकवादियों के निशाने पर रहे।
आतंकवादी हमले
क्रांति से पहले ईरान में जो संगठन सक्रिय थे, उनमें से एक साज़माने मुजाहेदीने ख़ल्क़ या एमकेओ भी था, जो उन लोगों के लिए जाना पहचाना नाम है, जो ईरान के समकालीन राजनीतिक इतिहास से वाक़िफ़ हैं। यह ऐसा गुट है, जो हत्याओं, बम हमलों और आतंकवादी कार्यवाहियों के लिए मशहूर रहा है। वह भी ऐसे समय में जब ईरानी जनता इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में शाही शासन के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन चला रही थी।
ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद, जब लोगों ने इस गुट के अतिवादी विचारों को ठुकरा दिया, तो इस संगठन ने सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के लिए हथियार उठा लिए।
संगठन के प्रमुख मसूद रजवी ने इस्लामी गणतंत्र ईरान से लड़ने के लिए कई चरण की योजना तैयार की।
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पहले चरण में इस्लामी व्यवस्था के भविष्य के प्रति निराशा फैलाना थी, जिसके लिए नेताओं और अधिकारियों की हत्याएं की गईं।
यह चरण ईरानी कैलेंडर के मुताबिक़, 1360 से 1360 तक जारी रहा, जब इस्लामी गणतंत्र के अधिकारियों पर सबसे ज़्यादा आतंकवादी हमले हुए। जमहूरी इस्लामी पार्टी के मुख्यालय में एक बड़ा धमाका किया गया, जिसमें शहीद बहिश्ती समेत 70 से ज़्यादा नेता और अधिकारी शहीद हो गई। इस हमले को रजवी ने एक घातक हमला क़रार दिया था।
उसके बाद एमकेओ ने इमाम ख़ुमैनी के घर और दफ़्तर पर हमला करने की योजना बनाई, लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई। उसके बाद उसने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को निशाना बनाया और उन्हें शहीद कर दिया।
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एमकेओ ने राजनेताओं की हत्याओं के अलावा, धार्मिक हस्तियों को भी निशाना बनाया और नमाज़ की हालत में 5 इमामे जुमा को शहीद किया।
अमरीकी समर्थन प्राप्त इस गुट का विश्लेण यह था कि संप्रभुता के पिरामिड के सिर पर प्रहार किया गया है और दूसरे चरण में ईरान में असुरक्षा और संकट पैदा करना होगा।
इस चरण में मसूद रजवी के आतंकवादी संगठन और उसके सदस्यों ने सड़कों और बाज़ारों में लोगों को बनाया। इसमें किराना विक्रेताओं और बेकरियों से लेकर महिलाओं और बच्चों तक के निशाना बनाया गया, जिसमें 3 साल की एक बच्ची लैला नूरबख़्श भी शामिल थी, जो आग में ज़िंदा जल गई थी।
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ईरान की जनता के ख़िलाफ़ इस आतंकवादी संगठन के अपराध यहीं ख़त्म नहीं हुए। जब अमरीका के समर्थन से इराक़ के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया, तो एमकेओ के आतंकवादी सद्दाम के साथ खड़े हो गए और उन्होंने बासी शासन को व्यापक सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने ईरानी सैनिकों की वर्दी में ईरानी सशस्त्र बलों में भी घुसपैठ की और ईरानी सैनिकों की हत्याओं का प्रयास किया। इन आतंकवादियों ने सद्दाम का विरोध करने वाले इराक़ी कुर्दों को भी निशाना बनाया।
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थोपे गए युद्ध के दौरान, उन्होंने कई ऑपरेशन किए और सीधे युद्ध क्षेत्र में प्रवेश किया। जैसे कि आफ़ताब या ख़ुरशीदे ताबन ऑपरेशन। इसमें लगभग 3500 लोग शहीद और घायल हुए और 508 ईरानी सैनिकों को क़ैदी बना लिया गया। मेरसाद ऑपरेशन में 977 लोगों को क़ैदी बनाया गया। इन आतंकवादियों ने बड़ी संख्या में ईरानी लोगों को शहीद किया और लोगों को ज़िंदा जलाने से लेकर ज़ख़्मियों के सिर काटने और अस्पतालों में आग लगाने जैसे जघन्य अपराध किए।
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इसके अलावा, 1366 में मक्का में ईरानी हाजियों की शहाद में उनकी भूमिका का उल्लेख किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में अयातुल्ला रईसी, ईरान के लोगों की रक्षा करने और तेहरान में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के ख़िलाफ़ एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में मैदान में आए।
एक ऐसा व्यक्ति जो न्यायिक संस्थानों में अपनी उपस्थिति के दौरान तेहरान में आतंकवादियों को दंड देने वाला बन गया और दृढ़ता और मज़बूती से खड़ा रहा, ताकि अमरीका द्वारा समर्थित आतंकवादी ईरान और तेहरान के लोगों का इससे अधिक जनसंहार नहीं कर सकें।
अब यहां यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि पश्चिम और उसका मीडिया राष्ट्रपति रईसी के कार्यों की प्रशंसा करने के बजाए, आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर उनकी छवि ख़राब करने और झूठ फैलाने और ऐतिहासिक तथ्यों पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों कर रहा है? इससे पश्चिम को क्या लाभ पहुंच रहा है? msm