आज दुनिया में हुसैनी मोर्चा और यज़ीदी मोर्चा, आमने-सामने हैं
(last modified Sun, 25 Aug 2024 11:37:42 GMT )
Aug २५, २०२४ १७:०७ Asia/Kolkata
  • आज दुनिया में हुसैनी मोर्चा और यज़ीदी मोर्चा, आमने-सामने हैं

तेहरान में स्थित इमाम ख़ुमैनी हुसैनिए में सुप्रीम लीडर की उपस्थिति में इमाम हुसैन (अ) के अरबईन के अवसर एक मजलिस का आयोजन किया गया।

इस मजसिल में धर्मगुरु असलानी ने मजलिस पढ़ी और नौहाख़ानों ने इमाम हुसैन की शहादत में नौहा ख़ानी की। मजलिस के अंत में सुप्रीम लीडर की इमामत में ज़ोहर और अस्र की नमाज़ अदा की गई।

दो नमाज़ों के बीच, सुप्रीम लीडर ने ज़ियारते आशूरा का ज़िक्र करते हुए कहा कि हुसैनी और यज़ीदी मोर्चे में जंग लगातार जारी है और यह कभी ख़त्म नहीं होगी। उन्होंने कहाः

ईरान की इस्लामी क्रांति ने जवानों को अवसर प्रदान किया है और उनके लिए एक विशाल मैदान उपलब्ध करवाया है, क्रांति के उद्देश्य की प्राप्ति के मद्देनज़र, उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी को सही से समझते हुए और योजना के अनुसार इस अवसर से लाभ उठाया चाहिए, ताकि प्रगति, समृद्धि और कल्याण प्राप्त हो सके।

सुप्रीम लीडर का कहना था कि इमाम हुसैन ने ज़ुल्म और अत्याचार से मुक़ाबले के लिए आंदोलन किया था। उन्होंने कहाः

ज़ुल्म और क्रूरता से मुक़ाबले के लिए हुसैनी मोर्चे की शैली, परिस्थितियों के अनुसार, भिन्न होती है। तलवार और भाले के दौर में यह मुक़ाबला अलग प्रकार का होता है और परमाणु और एआई के ज़माने में एक दूसरी तरह से, प्रचार के ज़माने में शायरी, क़सीदा और हदीस की एक ख़ास शैली थी, लेकिन इंटरनेट और क्वैंटम के दौर में शैली को बदलना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षा ग्रहण करने के दौरान, यह ज़िम्मेदारी अलग तरह की होती है और पद ग्रहण करने के दौरान दूसरी तरह से। उन्होंने कहाः

यज़ीदी मोर्चे से मुक़ाबले का मतलब, हमेशा बंदूक़ उठाना नहीं है, बल्कि सही सोचना चाहिए, सही बात करना चाहिए, सही पहचान करनी चाहिए और ज़िम्मदारी को पहचान कर लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाना चाहिए।

सुप्रीम लीडर ने आगे कहाः जवानों को वर्तमान दौर की क़द्र करनी चाहिए, क्योंकि इस दौर में इस्लामी क्रांति की बरकत से उनके लिए विशाल मैदान उपलब्थ हुआ है। योजनाबद्ध, अध्ययन और सही सोच के साथ सही अवसर पर क़दम उठाना चाहिए और सही सोच के लिए क़ुरान का ज्ञान होना ज़रूरी है।

सप्रीम लीडर ने आगे कहाः सही समय पर पहल के लिए सही समय कभी यूनिवर्सिटी का माहौल होता है, तो कभी समाज या राजनीति, और कभी-कभी कर्बला और फ़िलिस्तीन के रास्ते में यह पहल एक उच्च उद्देश्य को हासिल करने के लिए की जाती है।

आख़िर में उन्होंने कहाः युवाओं द्वारा इस ऐतिहासिक अवसर के उपयोग का मतलब, समृद्धि और कल्याण है और अगर इस अवसर का उपयोग नहीं किया जाए और ज़िम्मेदारी को पूरा नहीं किया जाता है, तो उसका परिणाम नुक़सान और घाटा उठाना होगा। msm