इमाम ख़ामेनेईः इस्लामी सभ्यता वर्तमान भौतिक सभ्यता के विपरीत है
(last modified Thu, 08 May 2025 10:56:58 GMT )
May ०८, २०२५ १६:२६ Asia/Kolkata
  • इस्लामी क्रांति के नेता इमाम ख़ामेनेई
    इस्लामी क्रांति के नेता इमाम ख़ामेनेई

पार्सटुडे- इस्लामी क्रांति के नेता ने ईरान के पवित्र नगर क़ुम में धार्मिक शिक्षा केन्द्र की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने संदेश में बल देकर कहा है कि धार्मिक शिक्षाकेन्द्र का सबसे महत्वपूर्ण दायित्व  इस्लामी शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाना और नई इस्लामी सभ्यता के लिए भूमि प्रशस्त करना है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता इमाम ख़ामेनेई ने बुधवार को ईरान में धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने संदेश में क़ुम में धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की स्थापना के इतिहास को बयान किया और उसे 14वीं हिजरी शमसी की बड़ी घटना बताया।

 

ज्ञात रहे कि आयतुल्लाह हाज शैख़ अब्दुल करीम हाएरी ने क़ुम के धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की बुनियाद रखी थी।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि क़ुम के धार्मिक शिक्षाकेन्द्र का एक गर्व यह है कि इमाम खुमैनी (रह.) जैसा सूरज इससे निकला और छह दशकों से भी कम समय में इस शिक्षाकेन्द्र ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति और लोकप्रिय छवि को उस बिंदु पर पहुंचा दिय जहां से वह शाह की अत्याचारी और भ्रष्ट सरकार को लोगों के हाथों जड़ से उखाड़ फ़ेकने में सक्षम हो गयी और शताब्दियों के बाद इस्लाम ने सत्ता की बागडोर संभाली।

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने इस बात पर बल दिया कि धार्मिक शिक्षाकेन्द्र केवल पढ़ने- पढ़ने का केन्द्र व संस्थान नहीं है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक ज्ञान- विज्ञान का केन्द्र है और यह वह चीज़ें हैं जो शिक्षाकेन्द्र को आगे बढ़ा सकती हैं।

 

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने धार्मिक शिक्षाकेन्द्र के एक हज़ार वर्षीय पुराने अतीत की ओर संकेत किया और कहा कि धार्मिक शिक्षाकेन्द्र ने इस्लामी शासन और समाज के संचालन से संबधित ज़रूरतों  का जवाब दिया और सरकार के साथ लोगों के संबंध, दूसरी सरकारों और राष्ट्रों के साथ लोगों के संबंध, इस्लाम के मौलिक व बुनियादी सिद्धांत, इस्लाम की दृष्टि से शासन और उसमें लोगों की भूमिका आदि वे विषय हैं जिनका धर्मशास्त्र की दृष्टि से उत्तर व जवाब होना चाहिये।

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने दुनिया की आधुनिकतम खोजों से अवगत होने और इसी प्रकार शिक्षाकेन्द्रों के साथ सहयोग को धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की ज़रूरत बताया।

 

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने बल देकर कहा कि धार्मिक शिक्षा केन्द्र से सबसे प्रमुख अपेक्षा एक इस्लामी सभ्यता की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करना है एक सभ्यता जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, प्राकृतिक संसाधन, सभी मानव क्षमताएं व योग्यतायें, सभी मानव प्रगति, सरकार, राजनीति, सैन्य शक्ति आदि होती है।

 

सर्वोच्च नेता ने कहा कि ईश्वरीय वादे के अनुसार भौतिक सभ्यता का अंत होकर रहेगा और हमारी ज़िम्मेदारी इस बातिल व ग़लत सभ्यता के अंत की दिशा में और उसके स्थान पर नई सभ्यता के मार्ग में काम करना करना है और धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की इस संबंध में बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है कि पहले चरण में इस्लामी सभ्यता की रूपरेखा तैयार करना चाहिये और उसके बाद समाज में उसका प्रचार- प्रसार है और यह बलाग़े मुबीन का सबसे स्पष्ट मिसदाक़ है। mm