अराक़ची: ईरान और अरब जगत के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों ने इस्लामी सभ्यता और विश्व के लिए बहुमूल्य उपलब्धियाँ हासिल की हैं
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ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराक़ची
पार्सटुडे – ईरान के विदेश मंत्री ने कहा: इस्लामी गणराज्य ईरान ने परमाणु हथियारों की प्राप्ति और उपयोग को हराम घोषित किया है और हमेशा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार अप्रसार संधि संधि एनपी का एक प्रतिबद्ध सदस्य रहा है।
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने शनिवार रात "ईरान और अरब देशों के बीच चौथे संवाद सम्मेलन" में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईरान और अरब जगत के बीच सद्भावपूर्ण संबंधों ने इतिहास में और महान इस्लामी सभ्यता के ढांचे में इस्लामी और वैश्विक सभ्यता को बहुमूल्य उपलब्धियाँ प्रदान की हैं जो आज हमारे साझा इस्लामी विरासत का हिस्सा हैं और हमारे लिए गर्व का कारण हैं।"
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान आंतरिक, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद के सिद्धांत में पूर्ण विश्वास रखता है।
अराक़ची ने आगे कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान की मूल व सिद्धांतिक नीति के आधार पर हम क्षेत्रीय एकता की प्राप्ति पर ज़ोर देते हैं।
पिछले एक वर्ष में पश्चिम एशिया क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। ये परिवर्तन, अपनी तमाम कठिनाइयों के बावजूद, क्षेत्रीय देशों के दृष्टिकोणों को एक-दूसरे के करीब लाने और ख़तरों व बदलावों से निपटने में साझा समझ के निर्माण का कारण बने हैं।"
ईरान के विदेश मंत्री का बयान: ज़ायोनी शासन क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है"
ईरान के विदेश मंत्री ने आगे कहा: हमने यह समझ लिया है कि हमारे बीच समानताएँ बहुत अधिक हैं और ये मतभेदों से कहीं ज़्यादा हैं, जिनमें से अधिकांश तो बाहरी ताक़तों द्वारा उत्पन्न की गयी और बनावटी हैं।"
आज हम इस्लामी जगत के लक्ष्यों की पूर्ति की बात नहीं कर सकते वह भी एसी स्थिति में जब हम फ़िलिस्तीनी जनता पर हो रहे अत्याचारों को अनदेखा कर दें।
उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन इस क्षेत्र में शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है और अमेरिका इस शासन का समर्थन करके खुद को इसके अपराधों का सहभागी और सह-अपराधी बना चुका है।"
अराक़ची ने ज़ोर देते हुए कहा कि ज़ायोनी शासन का उद्देश्य इन आक्रमणों के ज़रिये इस्लामी देशों में विनाश, कमज़ोरी और जनसंहार फैलाना तथा क्षेत्र के देशों की भूमि पर अवैध ढंग से अधिकाधिक क़ब्ज़ा करना है।
उन्होंने आगे कहा कि इन अत्याचारों का मुकाबला करना क्षेत्र के सभी देशों की कानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारी है।" इस क्षेत्रीय संवाद को इस तरह बदलना चाहिए कि शक्ति के संतुलन की नीति के स्थान पर भागीदारी का सिद्धांत स्थापित हो।
इसी प्रकार विदेशमंत्री ने कहा कि ऐसी सोच में परिवर्तन के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग और सहभागिता आवश्यक है।"
ईरान: “हम परमाणु हथियारों को हराम मानते हैं” अब्बास अराक़ची
अब्बास अराक़ची ने ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ताओं के चौथे दौर के संबंध में (जो रविवार, 11 मई को आयोजित हुआ) कहा: इस्लामी गणराज्य ईरान, परमाणु हथियारों की प्राप्ति और उनके उपयोग को हराम मानता है और हमेशा परमाणु हथियार अप्रसार संधि एनपीटी के एक सदस्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय नियमों का एक प्रतिबद्ध सदस्य रहा है।"
इसके साथ ही, ईरान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के उपयोग के अपने अधिकार पर जिसमें यूरेनियम संवर्धन (enrichment) भी शामिल है, ज़ोर देता है।"
"हम परमाणु हथियारों के पीछे नहीं हैं और मूलतः सामूहिक विनाश के हथियारों का ईरान की सुरक्षा नीति में कोई स्थान नहीं है। इसी कारण से हम पश्चिमी एशिया को परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र (nuclear weapons free zone) बनाने की पहल करने वालों में से रहे हैं। हम अमेरिका के साथ और साथ ही यूरोप, रूस और चीन के साथ संवाद को सद्भावना के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
ईरान के विदेश मंत्री ने आगे कहा कि पश्चिमी देशों और उन सभी को, जो परमाणु हथियारों का विरोध करने का दावा करते हैं, चाहिए कि वे दोहरे मापदंडों से बचें।
विदेशमंत्री ने कहा कि आप एक ओर तो ईरान और क्षेत्र के अन्य देशों की शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा को लेकर चिंता जताएं, लेकिन दूसरी ओर आप एक ऐसे शासन को जो अवैध ढंग से दूसरों की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करता है, आक्रामक है और नरसंहार करता है एक बड़ा परमाणु हथियार भंडार रखने की अनुमति नहीं दे सकते।"
इस्लामी गणराज्य, ईरान के गौरवशाली राष्ट्र के अधिकारों से कभी पीछे नहीं हटेगा" अब्बास अराक़ची
ईरान के विदेश मंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा: अगर इन वार्ताओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा, तो यह पहले से ही स्पष्ट और सिद्ध बात है और एक समझौते तक पहुँचना पूरी तरह संभव और सुलभ है लेकिन यदि उद्देश्य यह हो कि ईरान को उसके वैध परमाणु अधिकारों से वंचित किया जाए, या फिर कोई अवास्तविक और अनुचित मांगें थोप दी जाएं तो मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि इस्लामी गणराज्य ईरान, अपने इस गौरवशाली राष्ट्र के क़ानूनी अधिकारों से किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेगा। MM