चाबहार से लेकर यूरेशिया तक, ईरान, मध्य एशिया के व्यापार का द्वार
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ईरान के दक्षिण में स्थित चाबहार बंदरगाह
पार्स टुडे – ईरान, चाबहार बंदरगाह की रणनीतिक स्थिति और अपने व्यापक परिवहन नेटवर्क के बल पर, मध्य एशियाई देशों का एक प्रमुख साझेदार बन गया है और इस क्षेत्र के साथ अपने व्यापारिक और लॉजिस्टिक संबंधों को मज़बूती से बढ़ा रहा है।
The Diplomat वेबसाइट, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्रोत मानी जाती है, ने अपने एक लेख में लिखा है:
"इस्लामी गणराज्य ईरान, राष्ट्रपति 'मसऊद पेज़ेश्कियान' के कार्यकाल में, स्पष्ट रूप से मध्य एशिया में अपनी नीति को मज़बूत कर रहा है।"
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस लेख में यह भी उल्लेख किया गया है:
"ईरान का विस्तृत सड़क और रेलवे नेटवर्क, साथ ही हिंद महासागर में स्थित इसके प्रमुख बंदरगाह और मध्य एशिया के गणराज्यों के साथ सहयोग के लिए एक रणनीतिक लाभ प्रदान करते हैं।"
यह संकेत करता है कि ईरान अब न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी यूरेशियन व्यापार मार्गों का एक केंद्रीय केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की क्षेत्रीय सहकारिता का मुख्य केंद्र व्यापारिक संबंधों के विकास और लॉजिस्टिक अवसंरचना के सशक्तिकरण पर है - एक ऐसा कार्य जो ईरान की "पूर्वमुखी नीति" के रणनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
मध्य एशियाई देश भी नए उपभोक्ता बाजारों की खोज और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ने के अधिक प्रभावी मार्गों की तलाश में हैं। ईरान इन दोनों पहलुओं - मार्केट तक पहुँच और कुशल मार्गों - का संगम प्रदान करता है, और इसी कारण वह उनके लिए एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय भागीदार बन गया है।
इसके अतिरिक्त, ईरान के पास तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमताएँ हैं, विशेष रूप से इंजीनियरिंग, ऊर्जा, कृषि, रासायनिक उद्योग और औषधि निर्माण के क्षेत्रों में।
साथ ही, ईरान के पास संयुक्त उत्पादन के लिए निवेश अवसंरचना भी मौजूद है।
यह सब ईरान को मध्य एशियाई देशों के लिए एक रणनीतिक सहयोगी बनने की दिशा में और भी सुदृढ़ बनाता है।
ईरान के दक्षिण में स्थित चाबहार बंदरगाह, मध्य एशिया के देशों के लिए हिंद महासागर तक पहुँचने का एक द्वार माना जाता है।
ईरान का व्यापक सड़क और रेलवे नेटवर्क, दक्षिण में स्थित प्रमुख बंदरगाहों के साथ मिलकर, मध्य एशियाई देशों को वैश्विक बाज़ारों से जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है।
चीन–कज़्ज़ाक़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, ईरान और तुर्की जैसे रेलवे कॉरिडोर और बहु-आयामी परिवहन मार्ग ईरान को एक स्थलीय यूरेशियन पुल में बदल रहे हैं, जो पूर्व और पश्चिम को आपस में जोड़ता है।
सन् 2023 में, ईरान ने ताशकंद के उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया, जिसमें "चाबहार समझौते" में शामिल होने की बात थी।
उज़्बेकिस्तान इस बंदरगाह में एक विशेष गोदाम और टर्मिनल स्थापित करना चाहता है।
कज़्ज़ाक़िस्तान और ताजिकिस्तान भी इसी तरह के प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, मध्य एशिया से भारत तक परिवहन कॉरिडोर विकसित करने के लिए ईरान के सड़क और बंदरगाही मार्ग के माध्यम से वार्ताएँ जारी हैं, एक ऐसा कदम जो मध्य एशियाई देशों के भू-आर्थिक हितों के अनुरूप है।
हालाँकि ईरान का मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ द्विपक्षीय व्यापार अभी लगभग 1.5 अरब डॉलर के आसपास है, लेकिन उज़्बेकिस्तान के साथ व्यापार को 2 अरब डॉलर तक बढ़ाने और तुर्कमनिस्तान के साथ 30% व्यापार वृद्धि जैसे लक्ष्य इसे विस्तार की ओर ले जा रहे हैं।
यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ मई 2025 से लागू होने वाला मुक्त व्यापार समझौता सीमा शुल्क दरों में कटौती के ज़रिए ईरान के लिए नए व्यापारिक अवसर उत्पन्न कर रहा है।
इसके अलावा:
भारत के बंदरगाहों से उज़्बेकिस्तान और कज़्ज़ाक़िस्तान तक कंटेनर परिवहन अब बंदर अब्बास और चाबहार बंदरगाह के माध्यम से हो रहा है।
कज़्ज़ाक़िस्तान, ईरान के शहीद रजाई बंदरगाह में एक विशेष टर्मिनल स्थापित करने की योजना बना रहा है।
ये घटनाक्रम, ईरान के क्षेत्रीय पारगमन में बढ़ते हुए भूमिका को दर्शाते हैं।
साथ ही, ईरान का चीन के साथ 34.1 अरब डॉलर का गैर-तेल व्यापार, इस बात को स्पष्ट करता है कि ईरान धीरे-धीरे क्षेत्रीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स का एक केंद्र व हब बनता जा रहा है। MM